जानिए हेल्थ इंश्योरेन्स एवं उनके प्रोड़क्ट की आवश्यकता के बारे में स्वास्थ्य बीमा विशेषज्ञ विनय थानवी के साथ

विनय एक्सप्रेस स्वास्थ्य बीमा आलेख, बीकानेर। पिछले कुछ दशकों से हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर के प्रति आम जन में न सिर्फ जागरूकता बढ़ी है बल्कि मंहगें उपचार के चलते हेल्थ इंश्योरेंस की महत्ता वर्तमान समय में और अधिक बढ़ती जा रही है, इसलिए आवश्यक है कि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनीयों के मध्य बढ़ती प्रतिस्पद्र्धा में स्वास्थ्य बीमा प्रोडक्ट का चयन  अपनी आवश्यकता के हिसाब से करना चाहिए इसके लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:-
1.स्वास्थ्य बीमा का चयन कैसे करें: बीमारी कभी  भी बताकर दस्तक नहीं देती और आज के दौर में इलाज करानाबेहद मंहगा हो गया है। ऐसे में अगर हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ जाए तो मेडिकल खर्च बचत पर हावी हो जाता है। ऐसे हालात में हेल्थ इंश्योरेंस काम आ सकता है। महंगे इलाज के चलते हेल्थ इंश्योरेंस की अहमियत आज के समय में और बढ़ गई है। हेल्थ इंश्योरेंस से न सिर्फ जेब पर पड़ने वाला बोझ कम होता है साथ ही आप बिना पैसे की चिंता करे बेहतर उपचार प्राप्त कर सकते हैं।


2. पहले जानें क्या है हेल्थ इंश्योरेंस ?:- मार्केट में कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां मौजूद हैं, जो एक तय प्रीमियम के भुगतान पर आपको हेल्थ कवर देती हैं। यानी आपके बीमार होने पर या किसी आकस्मिक सर्जरी के लिए ये कंपनियां उस तय प्रीमियम के एवज में पूर्ण अथवा  आंशिक मेडिकल खर्च वहन करती हैं। हालांकि यह खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि आपने
कितनी  राशि वाला कवर लिया हुआ है। कुछ हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां
पॉलिसीधारक द्वारा इलाज के बाद क्लेम किए जाने पर पॉलिसी की तय राशि का भुगतान करती हैं तो कुछ पॉलिसीधारक के एक भी पैसा खर्च किए बिना शुरू से ही मेडिकल खर्च वहन करती हैं। हेल्थ इंश्योरेंस के दो प्लान बेसिक और टॉप अप उपलब्ध हैं। बेसिक प्लान में हर साल कवर की राशि समान रहती है. वहीं टॉप अप प्लान में अगर आप किसी साल हेल्थ इंश्योरेंस का अमाउंट क्लेम नहीं करते हैं तो अगले साल समान प्रीमियम के भुगतान पर कवर की राशि एक तय प्रतिशत के साथ बढ़ जाती है। इंश्योरेंस लगातार क्लेम न होने पर कवर साल दर साल बढ़ जाता है।

3.हेल्थ इंश्योरेंग /स्वास्थ्य बीमा के प्रकार
1. व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी: इस इंश्योरेंस प्लान में केवल उसी
व्यक्ति के इलाज का खर्च बीमा कंपनी उठाती है, जिसने हेल्थ इंश्योरेंस
लिया है। इस प्लान में हर व्यक्ति अपना अलग-अलग हेल्थ इंश्योरेंस ले सकता है। इस प्लान में हॉस्पिटल का खर्चा, डॉक्टर की फीस, इलाज का खर्चा,
भर्ती होने से पहले और उसके बाद के सभी खर्चें शामिल किए जाते हैं।
इंश्योरेंस की सम इंश्योर्ड वैल्यू के हिसाब से प्रीमियम तय होता है। ये
प्लान आपके लिए तब सही है, जब आप सिर्फ अपना इंश्योरेंस करा रहे हैं और
आपके माता-पिता या किसी अन्य सदस्य का पहले ही एक अलग हेल्थ इंश्योरेंस है।

2. फैमिली फ्लोटर पॉलिसीः इस प्लान में पूरी फैमिली के लिए एक ही हेल्थ
इंश्योरेंस कवर होता है। पूरे परिवार के लिए एक ही हेल्थ इंश्योरेंस लेने
से आप अलग-अलग प्रीमियम भरने के झंझट से बच जाते हैं। इस प्लान में आपके माता-पिता, पति-पत्नी और बच्चों के इलाज का खर्चा एक हेल्थ इंश्योरेंस के अंदर कवर हो जाता है। कुछ बीमा कंपनियां अन्य परिवारी जनों जैसे भाई-बहन, पोता-पोती, सास-ससुर आदि को भी कवर करती हैं।

3. सीनियर सिटीजन पॉलिसीः ये कवर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए ठीक रहेगा। बढ़ती उम्र के साथ अपनी सेहत का ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है। ये इंश्योरेंस 60 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों के लिए है इसलिए इस प्लान इसी उम्र को ध्यान में रखकर सभी सुविधाएं मिलती है। सीनियर सिटीजन द्वारा हेल्थ इंश्योरेंस लेने पर उन्हें टैक्स में डिडक्शन भी मिलता है।

4. यूनिट लिंक्ड हेल्थ प्लान्सः इसके तहत आप हेल्थ इंश्योरेंस को निवेश
का जरिया भी बना सकते हैं। यानी स्वास्थ्य की सिक्योरिटी के साथ-साथ
रिटर्न पाने का भी माध्यम कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां यूनिट लिंक्ड
हेल्थ प्लान्स की पेशकश करती हैं। इनका रिटर्न स्टॉक मार्केट की
परफॉरमेंस पर निर्भर करता है।

5. मातृत्व योजनाएंः कुछ बीमा कंपनियां सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस प्लान
में मैटरनिटी कवर यानी मातृत्व स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध नहीं कराती हैं।
हालांकि कुछ बीमा कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस लेने के 4 साल के बाद
मैटरनिटी को कवर करती हैं। ऐसे में अलग से मिलने वाली मातृत्व स्वास्थ्य
बीमा योजना मातृत्व और अन्य अतिरिक्त खर्चों के लिए कवरेज प्रदान करती
है। ये पॉलिसी डिलीवरी से पहले और डिलीवरी के बाद मां और बच्चे दोनों की
देखभाल से जुड़े खर्चे कवर करती है।

6. क्रिटिकल इलनेस कवरः सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में आम तौर पर
गंभीर बीमारियां जैसे दिल का दौरा, कैंसर, स्ट्रोक, ऑर्गन ट्रांसप्लांट,
किडनी फेल्योर आदि कवर नहीं होती हैं। गंभीर बीमारियां क्रिटिकल इलनेस
कवर के तहत कवर होती हैं. इसके कवर के तहत आने वाली गंभीर बीमारियों के डायग्नोस्टिक पर एकमुश्त लाभ राशि का भुगतान किया जाता है।

7. अस्पताल दैनिक नकद लाभ योजनाएंः इसके तहत लिए गए कवर के अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने के हर दिन के लिए एक निश्चित लिमिट तक कैश दिया जाता है। यह हॉस्पिटलाइजेशन खर्च से अलग होता है।

4.स्वास्थ्य बीमा पाॅलिसी खरीदते समय स्वास्थ्य बीमा के प्रकार और ध्यान
रखने योग्य बातें

हेल्थ इंश्योरेंस क्या कवर करते हैं ?

1 बीमारी या दुर्घटना के कारण अस्पताल में भर्ती होने से संबंधित मेडिकल
खर्च, जो 24 घंटे से अधिक की अवधि के लिए है।
2 मेडिकल खर्च जो अस्पताल में भर्ती होने से पहले के दिनों के दौरान
बीमारी के कारण होता है।
3 मेडिकल खर्च जो अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद घर पर हो रहे इलाज के
लिए एक निश्चित अवधि के लिए होता है।
4 उपचार के लिए मेडिकल खर्च, जो टेक्नोलॉजिकल प्रगति के कारण 24 घंटे
अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं होती।
5 आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी का उपयोग करके किया गया उपचार।

ये चीजें नहीं होती स्वास्थ्य बीमा के तहत कवर

1 हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले की मेडिकल स्थितियां या बीमारियां।
हालांकि, स्वास्थ्य बीमा प्रदाताओं ने दो से चार साल के बीच प्रतीक्षा
अवधि के रेंज के बाद
2 पहले से मौजूद मेडिकल स्थितियों के लिए कवरेज प्रदान करना शुरू कर दिया है।
3 कॉस्मेटिक सर्जरीः हालांकि, दुर्घटनाओं के बाद की जाने वाली कॉस्मेटिक
या प्लास्टिक सर्जरी कई स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में कवर है.
4 हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले व्यक्ति द्वारा जानबूझकर खुद को नुकसान
पहुंचाने के मामले में कवर नहीं किया जाता है. इसलिए आत्मघाती प्रयास के
दौरान हुई चोट कारण किसी भी बीमा प्रदाता द्वारा स्वास्थ्य बीमा योजना में कवर नहीं हैं।
5 थैरेपी कवर नहीं होती हैं, जैसे एक्यूपंक्चर, नैसर्गिक चिकित्सा,
चुंबकीय थेरेपी और थेरेपी के वैकल्पिक रूप।

विनय थानवी
8696352873
vinaythanvi07@gmail.com
लेखक सामाजिक चिंतक और स्वास्थ्य बीमा मामलों के जानकार हैं।