विनय एक्सप्रेस समाचार, जोधपुर ।राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश श्री अरूण भंसाली ने जिला परिषद बीकानेर के पंचायत समिति सींथल मे ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत श्री भागीरथ आचार्य की रिट याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए उसके निलम्बन आदेश पर रोक लगायी।
पंचायत समिति सींथल के ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत श्री भागीरथ आचार्य को मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बीकानेर द्वारा दिनांक 19.09.2022 को यह कहते हुए निलम्बित कर दिया कि उसके द्वारा राज कार्यो मे अनियमितता बरतने व उच्च अधिकारियो को भ्रमित करने का कार्य किया जा रहा है। अतः उसे राजस्थान सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम 1958 के नियम 13 के तहत तुरन्त प्रभाव से निलम्बित किया जाता है साथ ही निलम्बन काल मे उनका मुख्यालय पंचायत समिति खाजुवाला रहेगा।
निलम्बन आदेश के विरूद्व जब प्रार्थी ने एक अभ्यावेदन जिला परिषद बीकानेर के समक्ष प्रस्तुत किया तो जिला परिषद ने प्रार्थी को दिनांक 21.09.2022 को सूचित किया कि उसको निलम्बित करने से पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा जिला परिषद से किसी प्रकार की अनुमति या जिला परिषद में किसी प्रकार का कोई प्रस्ताव उसके निलम्बन के संदर्भ मे प्रस्तुत ही नही किया गया।
प्रार्थी के अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने जिला परिषद बीकानेर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा पारित निलम्बन आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी। प्रार्थी के अधिवक्ता का उच्च न्यायायल के समक्ष यह तर्क था कि विभाग द्वारा प्रार्थी को केवल तंग व परेशान करने के उद्वेश्य से ही बार-बार निलम्बन किया जा रहा है।
पूर्व में प्रार्थी को दिनांक 22.02.2022 के आदेश से विकास अधिकारी द्वारा राजस्थान सिविल सेवा(वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 16 मे चार्जशीट दी गयी। जिसे प्रार्थी द्वारा उच्च न्यायायल मे चुनौती देने पर उच्च न्यायालय ने दिनांक 11.03.2022 को उक्त चार्जशीट को सक्षम अधिकारी द्वारा जारी नही होने के कारण स्थगित किया। दुसरी बार दिनांक 17.06.2022 को जिला परिषद बीकानेर द्वारा उसे नियम 16 मे चार्जशीट व दिनांक 17.06.2022 को ही निलम्बित कर दिया गया। उस निलम्बन आदेश को उच्च न्यायायल ने असक्षम अधिकारी द्वारा जारी करने के कारण दिनांक 08.07.2022 को स्थगित कर दिया। असक्षम अधिकारी द्वारा प्रार्थी को दिनांक 19.09.2022 के आदेश से पुनः निलम्बित कर दिया जो अनुचित व विधि विरूद्व है। प्रार्थी को जो निलम्बित किया गया है। वह बिना जिला परिषद की सहमति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा किया गया है। जो विधि विरूद्व भी है।
प्रार्थी के अधिवक्ता का न्यायालय के समक्ष यह तर्क भी था कि प्रार्थी के लिए सक्षम अधिकारी राजस्थान पंचायत राज सेवा नियम के नियम 91(3) व 299(3) के तहत जिला परिषद है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्ति अधिकारी या सक्षम अधिकारी नही है। इसके बावजूद भी प्रार्थी को असक्षम अधिकारी द्वारा बार- बार निलम्बित किया जा रहा है।
प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए माननीय उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश श्री अरूण भंसाली ने विभाग द्वारा प्रार्थी को बार-बार असक्षम अधिकारी द्वारा निलम्बन को विधि विरूद्व एवं नियम विरूद्व मानते हुए रोक लगायी व सचिव, पंचायती राज, निदेशक, पचांयती राज. मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद बीकानेर व जिला प्रमुख जिला स्थापना समिति, जिला परिषद बीकानेर को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह मे जवाब तलब किया।