विनय एक्सप्रेस समाचार, हनुमानगढ़। माननीय राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार सम्पूर्ण प्रदेश में दिनांक 14.05.2022 को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है उक्त लोक अदालत में अधिकाधिक निस्तारण हेतु जिला मुख्यालय सहित तालुकाओं पर प्रिकांउसलिंग एवं डोर स्टेप कांउसलिंग अर्थात प्रकरण के पक्षकारान के मध्य समझाईश वार्ता की जा रही है। इसी क्रम में जिला मुख्यालय पर न्यायालय परिसर में सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश श्री अमरचंद सिंघल तथा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) श्रीमती संदीप कौर द्वारा डोर स्टेप कांउसलिंग की गई उक्त डोर स्टेप कांउसलिंग पारिवारिक न्यायालय एवं अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट, हनुमानगढ़ के लम्बित प्रकरणों के पक्षकारान के मध्य की गई।
इस काउंसलिंग में अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट के दो प्रकरणों में कांउसलिंग करते हुए समझाईश के प्रयास किये गये जो कि सफल रहे एवं दोनों प्रकरणों में राजीनामा संभव हो सका प्रकरणों के पक्षकारान को फूल माला पहनाकर गले मिलाकर न्यायालय से रवाना किया गया। उक्त दोनों सफल प्रकरणों को अब आगामी नेशनल लोक अदालत दिनांक 14.05.2022 में रेफर किया जावेगा। समझाईश के पश्चात उपस्थित आमजन को नेशनल लोक अदालत में अपने राजीनामा योग्य प्रकरणों को रेफर करवाने हेतु प्रेरित करते हुए अवगत करवाया कि इस लोक अदालत में दाण्डिक शमनीय प्रकरण, चेक से संबंधित मामले धारा 138 एनआईएक्ट के प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण, मोटर वाहन दुर्घटना दावा के प्रकरण, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवादों के प्रकरण, कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के प्रकरण, बिजली पानी एवं अन्य बिलों के भुगतान से संबंधित प्रकरण (अशमनिय के अलावा), पारिवारिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण, सभी प्रकार के सर्विस मैटर्स (पदोन्नति एवं वरिष्ठता विवाद के मामलों के अलावा), सभी प्रकार के राजस्व मामले (सीमा ज्ञान/नामान्तरण/राजस्व अभिलेख में सुधार/पैमाईश/डिविजन ऑफ होल्डिंग एवं रास्ते के विवाद सहित) वाणिज्यिक विवाद, बैंक के विवाद, गैर सरकारी शिक्षण के विवाद, सहकारिता सम्बन्धी विवाद, परिवहन सम्बन्धी विवाद, स्थानीय निकाय (विकास प्राधिकरण/नगर निगम आदि) के विवाद, रियल एस्टेट सम्बन्धी, रेल्वे क्लेम सम्बन्धी विवाद, अन्य कर सम्बन्धी विवाद, उपभोक्ता एवं विक्रेता/सेवा प्रदाता के मध्य विवाद सिविल मामले (किरायेदारी, बंटवारा, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा, घोषणा, क्षतिपूर्ति एवं विर्निदिष्ट पालना के दावे) अन्य राजीनामा योग्य ऐसे मामले जो अन्य अधिकरणों/आयोगो/मंचों /अथोरिटी/प्राधिकारियों के समक्ष लम्बित है के प्रकरणों को शामिल किया जावेगा।