विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। पक्षियों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध जिला भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में देश-विदेश से हजारों की संख्या में पक्षी प्रतिवर्ष आते है। ऐसे में केवलादेव ने विश्वस्तरीय पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अनूठी पहचान कायम की है। स्थानीय भाषा में घना पक्षी विहार के नाम से पहचान रखने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान न केवल भरतपुर के लिए बल्कि सम्पूर्ण राज्य के लिए पर्यटन एवं आय का एक बड़ा साधन है। वेटलैंड्स, ग्रासलैंड्स के साथ इतिहास की घटनाओं को अपने आंचल में समेटे हुए केवलादेव पक्षियों के साथ चीतल, सांभर, अजगर एवं विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों का घर है। फ़्लोरा एवं फोना से समृद्ध घना यूं तो कई बार पानी की कमी से जूझा, परन्तु प्रशासनिक चेतना एवं सतर्कता के साथ समय रहते घना को बचा लिया गया। इस सबके बीच सबसे बड़ी चुनौती थी, केवलादेव को प्लास्टिक से बचाना। पर्यटकों के साथ पार्क के अंदर जाने वाला प्लास्टिक कई बार उनकी नासमझी की वजह से वन्यजीवों के लिए खतरा साबित होता है। हालाँकि केवलादेव उद्यान प्रशासन द्वारा समय-समय पर सफाई करवा कर एवं जगह-जगह डस्टबिन रखवाकर इस खतरे को रोकने के प्रयास किये जाते रहे हैं।