राजस्थान सतर्क है कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर करवाया जा रहा है डोर टू डोर सर्वे -चिकित्सा मंत्री

विनय एक्सप्रेस समाचार,जयपुर। चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा है कि संक्रमित की पहचान कर कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए जांच पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। चिकित्सा विभाग द्वारा कई टीमें बनाकर गांवों में व्यापक स्तर पर डोर टू डोर सर्वे करवाया जा रहा है।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि सर्वे में मरीजों में आईएलआई (खांसी, जुकाम, बुखार के लक्षण) केस मिलने पर उनका एंटीजन टेस्ट करवाया जा रहा है। एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट 20 से 30 मिनट में ही आ जाती है। मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उन सबका आरटी पीसीआर टेस्ट भी करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा औसतन 80 हजार टेस्ट प्रतिदिन किए जा रहे हैं। सरकार की मंशा ज्यादा से ज्यादा कोरोना टेस्ट कर संक्रमण को नियंत्रित करने की है।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि सरकार ने कभी भी कोरोना सहित सभी अन्य बीमारियों से मृत्यु के आंकड़े नहीं छिपाए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर हाल ही 3 दल का गठन किया गया है । यह दल गांव-गांव जाकर कोरोना व अन्य बीमारियों से हुई मौतों की डेथ ऑडिट करेगी।
तीसरी लहर से बचाव के लिए बच्चों के अस्पतालों का किया जाएगा सुदृढीकरण 
डॉ. शर्मा ने कहा कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने तैयारिया प्रारंभ कर दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के सभी शिशु चिकित्सालयों व अन्य यूनिटों में आईसीयू बैड्स की संख्या बढ़ाई जा रही है। साथ ही वहां ऑक्सीजन जनरेशन के प्लांट व सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखे हुए हैं और प्रतिदिन इसके संबंध में रिव्यू मीटिंग ले रहे हैं।
जून में प्रदेश को मिल सकेंगी 12 लाख से ज्यादा वैक्सीन 
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में वैक्सीन के अभाव में वैक्सीनेशन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने जून माह में राजस्थान को 12 लाख 66 हजार डोज का कोटा आवंटित किया है, जबकि राज्य को 18 से 44 आयुवर्ग के वैक्सीनेशन के लिए करीब 7 करोड़ डोज की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जबकि प्रदेश की ओर से वैक्सीन आपूर्ति दोनों कंपनियों को करीब 59 करोड़ रुपए डोज के लिए दिए जा चुके हैं लेकिन इन कंपनियों से बहुत कम मात्रा में आपूर्ति हो रही है जो कि धीमी वैक्सीनेशन प्रक्रिया का प्रमुख कारण है।
ग्लोबल टेंडर करना केंद्र सरकार का काम 
डॉ. शर्मा ने कहा कि वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से ग्लोबल टेंडर जारी किए गए, जिसमें 9 कंपनियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में एक भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनी का वेंडर भी शामिल हुआ। इसमें समस्या यह है कि केन्द्र सरकार के जरिए मिलने वाली भारतीय वैक्सीन प्रदेश को कम कीमत पर मिल रही है, वहीं ग्लोबल टेंडर से इसकी कीमत ज्यादा आ रही है। उन्होंने कहा कि ऎसे किसी भी विवाद से बचने के लिए केन्द्र सरकार ग्लोबल टेंडर करें और वैक्सीन निर्माता कंपनियों से संपर्क कर राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध कराए, जिसका भुगतान प्रदेश सरकार करने को तैयार है। केंद्र सरकार के ग्लोबल टेंडर नहीं करने पर राज्य सरकार भी अन्य कई राज्यों की तरह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।