विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। प्रदेश में अगस्त माह में मानसून वर्षा की कमी एवं अपेक्षाकृत अधिक तापमान के कारण औसत विद्युत माँग में 700 – 800 लाख यूनिट की बढ़ोतरी हुई है। सामान्यतः अगस्त माह में औसत 2000 लाख यूनिट प्रतिदिन विद्युत की माँग होती है जोकि इस वर्ष बढ़कर 3100 लाख यूनिट तक पहुँच गयी है। 19 अगस्त को प्रदेश में अधिकतम माँग 14690 मेगावॉट दर्ज की गई, जो कि प्रदेश के इतिहास में किसी भी वर्ष में सर्वाधिक है।
प्रत्येक वर्ष वर्षा ऋतु के दौरान थर्मल स्टेशनों का वार्षिक शर्ट डाउन लिया जाता है इसका कारण यह है कि वर्षा ऋतु में विद्युत माँग कम होती है एवं कोयला आपूर्ति भी कम होती है। वर्तमान में पूरे देश में लगभग 74800 मेगावॉट क्षमता के थर्मल एवं गैस प्लांट बंद चल रहे हैं जो कि कुल क्षमता 2.30 लाख मेगावॉट का 33 प्रतिशत है। राजस्थान में कोयले की कमी के कारण सूरतगढ़ की 6 इकाइयां {250 मेगावॉट प्रत्येक } 25-26 अगस्त से एवं कालीसिंध इकाई 2 {600 मेगावॉट} 11 अगस्त से व कालीसिंध इकाई 1 {600 मेगावॉट} 15 अगस्त से तथा कवाई स्थिति अडानी के थर्मल प्लांट की एक इकाई {600 मेगावॉट} 24 अगस्त से बन्द है, इस प्रकार कुल 3400 मेगावॉट विद्युत उत्पादन नहीं हो पा रहा हैं। इसके साथ ही कोटा की 6 इकाइयां भी अपनी पूर्ण क्षमता के विरूद्ध 70 प्रतिशत क्षमता पर ही कार्य कर पा रही है।
उत्पादन निगम की 3240 मेगावॉट की इकाईयों हेतु कोयले की आपूर्ति कोल इंडिया {एनसीएल एवं एसईसीएल} द्वारा होती है। इस हेतु सीआईएल से 170 लाख मीट्रिक टन वार्षिक कोयले की आपूर्ति हेतु अनुबंध है जो कि लगभग 11.5 रैक प्रतिदिन बनती है। जबकि वर्तमान में केवल 3 रैक प्रतिदिन की आपूर्ति हो रही है।
समस्त देश में विद्युत उत्पादन की कमी एवं उत्तर भारत में कम मानसून के कारण विद्युत माँग में बढ़ोतरी के कारण विद्युत एक्सचेंज में बिजली की दरों में अत्यधिक वृद्धि हो गयी हैं। सामान्य दिनों में विद्युत एक्सचेंज में बिजली की अधिकतम दर 6-7 रूपये प्रति यूनिट रहती है, जो कि वर्तमान में बढ़कर 20 रूपये प्रति यूनिट तक पहुँच गयी हैं एवं एक्सचेंज से खरीद की औसत दर 3-4 रूपये से बढ़कर 10 रूपये तक पहँच गयी है। विद्युत विभाग द्वारा बिजली की मांग को पूरा करने हेतु प्रचलित महंगी दरों पर भी बिजली एक्सचेंज से अधिकतम बिजली खरीदने के प्रयास किये जा रहे है, लेकिन समस्त उत्तर भारत में बिजली की खपत बढ़ने के कारण एक्सचेंज से भी पर्याप्त मात्र में बिजली नहीं मिल पा रही है। एक्सचेंज में विद्युत उपलब्धता की कमी के कारण ग्रिड की सुरक्षा बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय लोड डिस्पेच सेन्टर द्वारा किसी भी राज्य को ग्रिड से बिजली को ओवर ड्रा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
ऊर्जा विभाग द्वारा कोल इंडिया के अधिकारियों एवं भारत सरकार के संबंधित मंत्रलय से समन्वय स्थापित कर कोयले की आपूर्ति को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहें है, लेकिन राज्य की विद्युत मांग के मध्येनजर वर्तमान मे आपूर्ति अपर्याप्त है।
ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी .कल्ला एवं प्रमुख शासन सचिव श्री दिनेश कुमार द्वारा स्वंय दिल्ली जाकर प्रदेश में कोयले की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार के अधिकारियों से बातचीत की गई। साथ ही कालीसिंध परियोजना की 600 मेगावॉट प्रथम इकाई से विद्युत उत्पादन 29 अगस्त से सुचारू रूप से प्रारम्भ हो चुका है।
परन्तु दूसरी इकाई को चालू करने के लिए कोयले की आपूर्ति की आवश्यकता है। बिजली का यह संकट केवल राजस्थान में ही नहीं हैं बल्कि उत्तर भारत के अधिकतम राज्यों यथा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात तथा पंजाब में भी व्याप्त है। सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में यदि पर्याप्त वर्षा नहीं होगी तो यह समस्या सितंबर माह में भी पूरे उत्तर भारत में रह सकती है। क्योंकि कोल इंडिया केन्द्र सरकार का उपक्रम है अतः केन्द्र सरकार से यह अनुरोध है कि वह इस समय किसानों की आवश्यकता को देखते हुए समयबद्ध तरीके से कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करावें।