रोटरी क्लब, जयपुर का 75 वां स्थापना दिवस आयोजित- रक्तदान के साथ अंगदान, चिकित्सा आपदा प्रबंधन और  शिक्षा प्रसार में भी आगे आए रोटरी क्लब -पीड़ित मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म – राज्यपाल

विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि पीड़ित मानवता की सेवा ही मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने रोटरी क्लब जैसे संगठनों का आह्वान किया है कि वे रक्तदान के साथ अंगदान और चिकित्सीय आपदा प्रबंधन से जुड़ी मानवीय सेवाओं और शिक्षा प्रसार के लिए भी कार्य करें।
श्री मिश्र शनिवार को रोटरी क्लब, जयपुर के 75 वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य होने का अर्थ ही है मानव मात्र के लिए जरूर पड़ने पर काम आना। उन्होंने स्वयंसेवी संस्थाओं को नर सेवा को नारायण सेवा मानते हुए अधिकाधिक जनोपयोगी कार्य किए जाने पर जोर दिया।
राज्यपाल ने रोटरी क्लब जयपुर को अमृत महोत्सव की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि किसी संस्था के लिए 75 वर्ष निरंतर सेवा कार्य करना दूसरों के लिए भी अनुकरणीय है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए कहा कि बेलूर में अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की स्मृति में मठ बनाने के लिए एकत्र राशि को स्वामी जी ने प्लेग रोग होने पर रोगियों की सेवा में लगा दिया था। उन्होंने कहा कि मानव सेवा ही ईश्वर की उपासना है। कोई भी राष्ट्र और समाज तभी सशक्त हो सकता है जब वहां के लोग मानव मात्र की सेवा को अपना परम धर्म मानकर कार्य करे।
श्री मिश्र ने कोविड के दौरान विभिन्न संगठनों और रोटरी क्लब द्वारा पीड़ित मानवता के लिए किए गए कार्यों की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि रोटरी क्लब, जयपुर जैसे संगठन आम जन में दूसरों के लिए समर्पित होकर कार्य करने की भावना जगाते हैं।
इससे पहले रोटरी क्लब, जयपुर के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र स्वरूप ने 75 वर्ष के स्वर्णिम इतिहास के साथ ही क्लब द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। क्लब के सचिव श्री दुर्गेश पुरोहित ने बताया कि क्लब की स्थापना आजादी से भी पहले हो गयी थी तथा इसमें पुस्तकालय भवन का लोकार्पण उपराष्ट्रपति श्री भैरोसिंह शेखावत ने किया था। इस अवसर पर रोटरी क्लब के पदाधिकारी श्री अशोक मंगल, डॉ. बलवंत सिंह आदि ने क्लब से जुड़े अनुभव सुनाए।
राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने आरम्भ में क्लब के पदाधिकारियों एवं सदस्यों को संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।