उपन्यास और कहानी विधाओं में दिया गया श्रेष्ठ कृति सम्मान
विनय एक्सप्रेस सामाचार, जयपुर। जाने-माने साहित्यकार श्री भरतचन्द्र शर्मा को रविवार को जयपुर में आयोजित समारोह में उनके उपन्यास ‘पीर परबत -सी’ के लिए शिक्षाविद् पृथ्वीनाथ भान सम्मान प्रदान किया गया।
पिंकसिटी प्रेस क्लब मुख्य सभागार जयपुर में स्पंदन संस्थान एवं साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्य समर्था’ के सौजन्य से उपन्यास विधा में शिक्षाविद् पृथ्वीनाथ भान पुरस्कार एवं अखिल भारतीय डॉ. कुमुद टिक्कू अंलकरण का भव्य एवं गरिमामय समारोह संस्थान की अध्यक्षा एवं साहित्यकार डॉ. नीलिमा टिक्कू के निर्देशन में आयोजित किया गया।
साहित्य जगत की हस्तियों ने दिए पुरस्कार
समारोह की मुख्य अतिथि देश की प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ.सूर्यबाला(मुम्बई) थी जबकि अध्यक्षता राजस्थान राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. पवन सुराणा ने की। विशिष्ट अतिथिगण के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं दूरदर्शन केन्द्र जयपुर के पूर्व निदेशक श्री नन्द भारद्वाज, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कॉलेज शिक्षा के पूर्व निदेशक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. सुदेश बत्रा, मुख्यमंत्री-राजस्थान के विशेषाधिकारी एवं मशहूर साहित्यकार श्री फ़ारुक आफ़रीदी तथा हिन्दी प्रचार-प्रसार संस्थान जयपुर के अध्यक्ष डॉ. अखिल शुक्ला आदि ने श्री शर्मा को यह सम्मान प्रदान किया।
इसके अन्तर्गत श्री भरतचन्द्र शर्मा को उनके उपन्यास पीर परबत-सी के लिए अतिथियों ने शॉल ओढ़ाकर, स्मृति चिह्न , प्रशस्ति पत्र एवं 11 हजार रुपए पुरस्कार राशि प्रदान कर सम्मानित किया।
वागड़ की परंपराओं और परिवेश पर केन्दि्रत है उपन्यास
उल्लेखनीय है कि जाने-माने साहित्यकार श्री भरतचन्द्र शर्मा का 175 पृष्ठीय यह उपन्यास वागड़ के आँचलिक परिवेश, लोक जीवन के रसरंग, सामाजिक विसंगतियों की विडम्बनाओं आदि पर आधारित हैं। माही नदी की कलकल उपन्यास का नाद तत्व हैं। यह उपन्यास रश्मि प्रकाशन लखनऊ से प्रकाशित हुआ है। इस उपन्यास के आमुख में सुप्रसिद्ध साहित्यकार हेतु भारद्वाज ने इस कृति को अभावग्रस्त जीवन संघर्ष का कोलाज कहा हैं। उपन्यास के कुछ अंश सुप्रसिद्ध साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘युद्धरत आम आदमी’ में प्रकाशित हो चुके हैं।
वागड़ धरा की माटी के प्रति कृतज्ञता अभिव्यक्त
इस मौके पर अपने सम्मान के प्रति आभार परक दिली उद्गार व्यक्त करते हुए उपन्यासकार श्री भरतचन्द्र शर्मा ने कृति की शब्द साधना की पृष्ठभूमि का जिक्र किया और इस कृति की रचना के संदर्भ में वागड़ धरा की माटी का विनम्रतापूर्वक वंदन किया।
श्रेष्ठ कहानी का पुरस्कार भी
इसी समारोह में अखिल भारतीय डॉ. कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता के अन्तर्गत श्रेष्ठ कहानियों में चयनित श्री भरतचन्द्र शर्मा की कहानी ‘निर्जला’ के लिए उन्हें 3 हजार रुपए पुरस्कार राशि, शॉल एवं प्रशस्ति पत्र आदि से सम्मानित किया गया।
समारोह में अतिथियों ने अपने उद्बोधन में श्री शर्मा की कृतियों को अन्यतम एवं श्रेष्ठ निरूपित करते हुए उनके कृतित्व की खूब सराहना की।
आसान नहीं है कथा बुनने की यह तकनीक – सूर्यबाला
समारोह की मुख्य अतिथि देश की सुप्रसिद्ध कथाकार सूर्यबाला ने उनकी कहानी निर्जला पर विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्जला मनुष्य के मानस लोक की अबूझ रहस्यात्मकता का एक मायावी लोक सा रचती है। यथार्थ और कल्पना की इस लेंडिंग को कथाकार बखूबी संभाल ले गये हैं और आश्वासनीय को पूरे सच तक उतार लाये हैं। कथा में कथा बुनने की इस तकनीक का निर्वाह कर ले जाना आसान नहीं हैं।
समारोह का संचालन डॉ. संगीता सक्सेना एवं साहित्यिक शिवानी ने किया। इस अवसर पर लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों, प्रबुद्धजनों आदि का सहभागीत्व रहा।