विनय एक्सप्रेस समाचार,जैसलमेर। जिले के शुष्क व रेगिस्तानी क्षेत्रों में गर्मियों के मौसम की शुरुआत के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गायों में मृत पशुओं के शवों के अवशेष व हड्डीयां आदि खाने से कर्रा रोग (बोटूलिज्म) हो जाता है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने बताया कि मृत पशुओं के शवों के सड़ने ‘‘कलोस्ट्रीडियम बोटूलाईनम’’ जीवाणु के द्वारा ‘‘बाॅटूलाईनम’’ नाम अत्यनत तेज विष (टोक्सिन) उत्पादित होता है। जिले में उत्पादित होने वाले चारे में फासफोरस तत्व की कमी तथा दुधारु गायों में दुग्ध उत्पादन के कारण उसके शरीर में फासफोरस तथा अन्य पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे इनकी पूर्ति के लिये गाये मृत पशुओं की हड्डीया खानी प्रारंभ कर देते है।
उन्होंने बताया कि मृत पशुओं की सडे हुये मांस व हड्डीयों में ‘‘कलोस्ट्रीडियम बोटूलाईनम’’ जीवाणु द्वारा अत्यंत घातक टोक्सिन पैदा हो जाता है। जिसके शरीर में जाने से पशुओं की मांसपेशीया कमजोर होकर लकवा होने की शिकायत हो जाती है तथा टोक्सिन के कारण पशु मुंह से जीभ बाहर निकाल देता है, मुंह से लारे गिरना व चारा पानी का सेवन करना बंद कर देता है। बिमार गौवंश खडे होने में असमर्थ होता, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। इस रोग का कोई उपचार नहीं है।
उन्होंने बताया कि रोग से बचाव के लिए जिले की सभी संस्थाओं में मिनरल मिक्सर पाउडर उपलब्ध है जिसे प्रतिदिन 50 ग्राम पाउडर व नमक दाने में खिलाना चाहियें। इस रोग में मृत्यु दर बहुत अधिक है। उन्होंने जिले के सभी पशुपालकों को सुझाव दिया कि वें मृत पशुओं के शवों का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से गड्डा खोदकर दफनाकर करें एवं ग्राम पंचायत के सहयोग से ग्राम से 02-03 कि.मी. की दूरी पर चार दिवारी बनाकर बंद बाडे़ में मृत पशुओं के शवों को डाले।
इस संबंध में जिले के सभी पशुपालकों को यह भी सुझाव दिया गया हैं कि वें अपने दुधारु पशुधन को बांधकर सुरक्षित रखें तथा दैनिक रुप से पशु चिकित्सालयों में उपलब्ध मिनरल मिक्सर व नमक दाने के साथ आवश्यक रुप से खिलाया जाना सुनिश्चित करें। जिले की सभी संस्थाओं द्वारा इस दिशा में व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाकर सभी पशुपालकों को जन जागरुक किया जा रहा है।