जानिए कार्तिक पूर्णिमा महात्म्य पंडित नितेश व्यास के साथ

विनय एक्सप्रेस, धार्मिक आलेख। भगवान विष्णु को प्रिय कार्तिक मास की पूर्णिमा शुक्रवार 19 नवम्बर 2021 नवंबर को है। कार्तिक मास को पुण्य मास माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ आदि करने से सांसारिक पाप और ताप का शमन होता है। इस दिन किये जाने वाले अन्न, धन एव वस्त्र दान का भी बहुत महत्व बताया गया है। इस दिन जो भी दान किया जाता हैं उसका कई गुणा लाभ मिलता है। मान्यता यह भी है कि इस दिन व्यक्ति जो कुछ दान करता है वह उसके लिए स्वर्ग में संरक्षित रहता है जो मृत्यु लोक त्यागने के बाद स्वर्ग में उसे पुनःप्राप्त होता है।

पंडित नितेश व्यास बताते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा का महत्व का अधिक बखान क्या करे स्वयं श्रीमद भागवत मे इसका वर्णन है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन कपिल सरोवर स्नान का महत्व है क्योंकि माँ देवहूति को कपिल मुनि ने सांख्य ज्ञान दर्शन दिया इसी सरोवर पर ओर कहा भी जाता है सब तीर्थो के बाद कपिल सरोवर कोलायत म् स्नान न करे तो फल नही मिलता इसलिए इसमें स्नान की महत्ता अधिक है ।। अलग अलग घाट का अलग महत्व है  कोलायत मुनि में।

कपिल मुनि सरोवर बीकानेर

शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक पुर्णिमा के दिन पवित्र नदी व सरोवर एवं धर्म स्थान में जैसे, गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर व्यक्ति को बिना स्नान किए नहीं रहना चाहिए
इस दिन स्नान करते समय पहले हाथ पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें, इसी प्रकार दान देते समय में हाथ में जल लेकर दान करें। आप यज्ञ और जप कर रहे हैं तो पहले संख्या का संकल्प कर लें फिर जप और यज्ञादि कर्म करें।
कार्तिक स्नान पर गंगा स्नान क्यों ?
-कार्तिक मास में सारे देवता जलाशयों में छिपे होते हैं।
-भगवान श्रीहरि भी पाताल में निवास करते हैं।
-इस तिथि पर गंगा स्नान से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ वाजस्नेय यज्ञ के समान फल मिलते है।
-सालभर के गंगास्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है।
-मान्यता यह भी है कि इस दिन पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में वृषदान यानी बछड़ा दान करने से शिवपद की प्राप्ति होती है। -जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
– रात्रि के समय विधि-विधान से भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की पूजा करें।
– सत्‍यनारायण की कथा पढ़ें, सुनें और सुनाएं।
– भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की आरती उतारने के बाद चंद्रमा को अर्घ्‍य दें।
– घर के अंदर और बाहर दीपक जलाएं।
– घर के सभी सदस्‍यों में प्रसाद वितरण करें।
– इस दिन दान करना अत्‍यंत शुभ माना जाता है।किसी ब्राह्मण या निर्धन व्‍यक्ति को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान और भेंट देकर विदा करें।अरवा चावल, जौ,तिल,मौसमी फल, लौकी में छिपाकर सिक्का दान करना चाहिए।
– कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर दीपदान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
-इस दिन क्षीर सागर दान का अनन्त माहात्म्य है। क्षीर सागर का दान 24 अंगुल के बर्तन में दूध भरकर उसमें स्वर्ण या रजत की मछली छोड़कर किया जाता है। यह उत्सव दीपावली की भांति दीप जलाकर सायंकाल मनाया जाता है।
कुंडली के दोष निवारण हेतु:-
-कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को तुलसी माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से मन की सारी मुरादें पूरी होंगी। वहीं महादेव को धतूरे का फल और भांग चढ़ाने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।तिल स्नान से शनि दोष से राहत मिलती है।
-कार्तिक पूर्णिमा पर तिल स्नान करने से शनि दोष समाप्त हो जाते हैं। खासकर शनि की साढ़े साती,ढैय्या में। साथ ही कुंडली में पितृ दोष,गुरु चंडाल दोष,नंदी दोष की स्थिति में शांति मिलती है।