भारत में मधुमेह पीड़ित बच्चों की संख्या विश्व में सबसे अधिक : जानकारी और जागरूकता के अभाव में लाखों बच्चों की असमय अकाल मृत्यु

विनय एक्सप्रेस समाचार, नई दिल्ली /मुम्बई। रिपोर्ट -नीति गोपेंद्र भट्ट। भारत में बच्चों के डायबिटीज़ (मधुमेह ) के लिए एक्टिविस्ट का काम कर रही डॉ. स्मिता जोशी ने कहा है कि भारत में मधुमेह पीड़ित बच्चों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है और भारत बच्चों के मधुमेह की विश्व राजधानी बनने जा रहा है ।

मुंबई की पवई झील स्थित वेस्टिन में हाल ही मधुमेह पर आयोजित 22 वीं अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज़ संगोष्ठी के एक सत्र की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने यह बात कही ।

इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन वर्ल्ड-इंडिया डायबिटीज फाउंडेशन (यूएसए), इंडियन एकेडमी ऑफ डायबिटीज, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन इंडिया और डायबिटिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से किया गया था।

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डॉ.स्मिता जोशी बताया कि एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में विश्व में 537 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और भारत में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चों और किशोरों की आबादी दुनिया में सबसे अधिक क़रीब ढाई लाख है। बी बी सी के अनुसार यह संख्या पन्द्रह से बीस लाख हैं। भारत के बाद अमरीका में सबसे अधिक बच्चे डायबिटीज़ से पीड़ित हैं।

ग्रामीण भारत में हैं कई कारुण कहानियाँ

डॉ. स्मिता जोशी ने बताया कि भारत में मधुमेह पीड़ित बच्चों का औसत जीवन काल 25 वर्ष से भी कम है और ग्रामीण भारत में इनसे जुड़ी कई कारुण कहानियाँ हैं। इस तरह भारत में जानकारी और जागरूकता के अभाव में मधुमेह पीड़ित बच्चे असमय अकाल मृत्यु से काल के ग्रास बन रहें हैं । विशेष कर इसमें समाज के वंचित वर्ग की बालिकाओं की संख्या सर्वाधिक हैं।

भारत के किसी भी सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम में बच्चों की टाइप-1 डायबिटीज बीमारी शामिल नही

डॉ. स्मिता जोशी ने परिचर्चा में यूएसए के मेयो क्लिनिक से जुड़े प्रतिष्ठित डॉ. सुमित भागरा, आरडी जोशी, डॉ. के. श्रीकुमारन नायर, डॉ.शशांक जोशी (मुंबई) डॉ.वी.मोहन (चेन्नई) जैसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय डायबेटोलॉजिस्ट के साथ भारत के टाइप-1 डायबिटीज चिल्ड्रन की बेहतरी के बारे में विस्तार से चर्चा की और बताया कि वर्तमान में भारत के किसी भी सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रम में बच्चों की टाइप-1 डायबिटीज बीमारी शामिल नही है इसलिए पीड़ित बच्चों को कोई सरकारी सहायता नही मिल पा रही है।

उन्होंने बताया कि वे और उनकी बहन डॉ.शुक्ला रावल डॉ.वासुदेव चेरिटेबल ट्रस्ट उंझा (गुजरात) की ट्रस्टी के रूप में लम्बे समय से बच्चों का टाइप-1 डायबिटीज के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनवाने का प्रयास कर रही है और इसके लिए जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने भारत में कश्मीर से कन्या कुमारी तथा अमरीका में सेन फ़्रांसिस्को से अटलांटा तक अपने खर्चे पर सेल्फ ड्राइविंग अभियान चला 7500

किमी लम्बी यात्रा भी की है। जिसकी स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सराहना की है।

केन्द्र के साथ गुजरात सरकार कर रही है पहल

उन्होंने बताया कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्री डॉ.मनसुख मांडविया और गुजरात के स्वास्थ्य मन्त्री ऋषिकेश भाई पटेल बच्चों का टाइप 1 डायबिटीज के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनवाने में गहरी रुचि ले रहें हैं और उम्मीद है कि गुजरात सरकार शीघ्र ही इस सम्बन्ध में एक नीति बना उसे लागू करेंगी।

राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रयास

मुम्बई में अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज़ संगोष्ठी से पूर्व डॉ.स्मिता जोशी और डॉ.शुक्ला रावल ने नई दिल्ली में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.शरद कुमार अग्रवाल से भेंट की और बच्चों के टाइप 1 मधुमेह कार्यक्रम से जुड़ी संस्थाओं और पीड़ित परिवारों के साथ “सभी के लिए एक, एक के लिए सब” ऑन लाईन कार्यक्रम में भाग लिया।

इससे पूर्व डॉ.स्मिता जोशी और डॉ.शुक्ला रावल ने इन्दौर में आयोजित तीन दिवसीय प्रवासी भारतीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए अमरीका में आपी के अध्यक्ष डॉ.रवि कोली और सम्मेलन के स्वास्थ्य सत्र के लिए नामित यूएसए आपी चेयरपर्सन डॉ. संपत शिवांगी से भी मुलाक़ात कर भारत में अमरीका की तकनीक के आधार पर भारत में मधुमेह पीड़ित बच्चों की मदद के लिए आगे आने का आग्रह किया।

संगोष्ठी में प्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञों की उपस्थिति में दोनों डॉक्टर बहनों का शाल ओढ़ा कर अभिनंदन भी किया गया।