शहर में 1 जुलाई से होगा अल्पसंख्यक बालक आवासीय विद्यालय का संचालन

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। राज्य सरकार के निदेशालय अल्पसंख्यक मामलात विभाग राज. जयपुर द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय जैसे जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख, मुस्लिम को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु नागौर शहर में अल्पसंख्यक बालक आवासीय विद्यालय का संचालन 1 जुलाई से शुरू होगा।

इसके तहत नागौर में अल्पसंख्यक समुदाय के बालकों के लिए कक्षा 6 से 8 तक के बच्चे प्रवेश ले सकते है। प्रवेश के लिए जिला कलक्ट्रेट परिसर स्थित कमरा नं. 54-55 से आवेदन प्राप्त कर सकते हैं एवं आवेदन जमा करवाने की अंतिम तिथि 30 जून निर्धारित की गई तथा एक जुलाई से विद्यालय सुचारू रूप से संचालित होना प्रस्तावित है। विद्यालय में बच्चों को निःशुल्क पोष्टिक नाश्ता, भोजन, स्थाईफण्ड, यूनिफॉर्म, पाठ्य पुस्तकें, शैक्षिक सामग्री, स्वाध्याय हेतु पुस्तकें एवं दैनिक आवश्यकताओं की सामग्री यथा टूथ ब्रश, साबुन, तेल इत्यादि सामग्री निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी। साथ ही कम्प्यूटर शिक्षण, प्रशिक्षण, अंतरजिला शैक्षिक भ्रमण, उपचारात्मक, शिक्षण, खेलकूद, आत्मरक्षा प्रशिक्षण एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था रहेगी। विद्यालय भवन में आवास हेतु कक्षा कक्ष, शौचालय, विद्युत एवं पीने के पानी की सुविधाएं उपलब्ध रहेगी।


जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी राजेश कालवा ने बताया कि नागौर शहर में अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय के साथ-साथ अल्पसंख्यक विभाग राजस्थान सरकार द्वारा समाज कल्याण विभाग की तर्ज पर नागौर जिले में 4 छात्रावास (बासनी बेहलीमा मकराना, नागौर (बालिका) व लाडनूं ) क्षमता 50-50 छात्रध्छात्राओं के लिये छात्रावासों का संचालन 1 अगस्त से शुरू हो रहा है। इसके लिये आवेदन स्थानीय कार्यालय पर प्राप्त किये जा सकते हैं और आवेदन जमा करवाने की अंतिम तिथि 25 जुलाई निर्धारित है।

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उक्त छात्रावासों में व्यवसायिक ध् स्नातकध् स्नातकोतर छात्रों को प्रवेश में प्राथमिकता दी जाएगी। इन छात्रावासों में रहने के लिये बैड, बिस्तर, खाने के लिये भोजन, नाश्ता, ड्रेस, जूते इत्यादि आवश्यक सामग्री निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी। कालवा ने बताया कि स्थानीय कार्यालय द्वारा उस्मान खान कार्यक्रम अधिकारी के नेतृत्व में एक प्रचार-प्रसार टीम का गठन किया गया हैं। जो उक्त योजनाओं का गांव-गांव ढाणी-ढाणी तक प्रचार करेंगे। अल्पसंख्यक विभाग राजस्थान का प्रयास छात्रावास व आवासीय विद्यालय में दूर-दराज गांव, ढाणी में पढ़ने वाले गरीब व कमजोर तबके को शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़कर समाज और राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित करना है।