जिले में तालाब, नाडी व बावड़ी के संरक्षण, सौन्दर्यकरण और हरियाली संवर्द्धन पर होगा काम जिले की पांच सौ ग्राम पंचायतों में 11 जून को होगा एक नए जन अभियान का आगाज मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद जवाहर चौधरी ने तैयार की इस नई मुहिम की रूपरेखा जायल के ढीढोलाव तालाब से होगा अभियान का जिला स्तरीय शुभारंभ
विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। सरूवर जल, तरूवर फल, सुनहरा कल….भारत में प्राचीनतम समय से ही इस परिकल्पना को साकार करने के लिए काम होता रहा है और मानव सभ्यताओं ने जल, जीवन और प्रकृति के संरक्षण के लिए समय-समय पर बहुतेरे काम किए और इसमें सफलता भी हासिल की। इसी भावना को आत्मसात करते हुए निराळे नागौर के गांवों में एक बार फिर से तालाबों के संरक्षण, वर्षाजल संग्रहण, पौधरोपण और सौन्दर्यकरण पर काम होगा, जिसके लिए एक अभियान की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाकर इसमें धरातलीय स्तर पर मूर्तरूप देने की तैयारी कर ली गई है।
अभियान उजास, आॅपरेशन प्राणवायु, मेरा गांव-मेरी जिम्मेदारी, अभियान लाडेसर…जनमानस के लिए शिक्षा और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा मजबूत करने के लिए किए गए नवाचारों के बाद अब जल एवं पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ हरियाली से गांवों के सौन्दर्यकरण के लिए जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने एक और अभिनव पहल की है, जिसे नाम दिया गया है हरा-भरा तालाब। इस पुनीत महाअभियान की शुरूआत शुक्रवार, 11 जून से की जाएगी। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी के इस अभिनव अभियान की पूरी रूपरेखा तैयार की है। अभियान हरा-भरा तालाब का आगाज जिले की सभी 500 ग्राम पंचायतों में एक साथ-एक ही दिन में 11 जून को किया जाएगा। अभियान का जिला स्तरीय शुभारंभ जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी जायल के ढिढोलाव तालाब से शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अभियान की उपखण्ड व ग्राम पंचायत स्तरीय शुरूआत भी इसी दिन की जाएगी। अभियान हरा-भरा तालाब में पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र में काम करने वाली विभूतियों, जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों तथा गांव के गणमान्यजन सभी को आमंत्रित किया गया है। अभियान को सफलता के पायदान तक ले जाने के लिए जिले के समस्त उपखण्ड अधिकारियों, विकास अधिकारियों, ग्राम विकास अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
कुछ यूं बढ़ी बात और बन गया अभियान का प्रारूप
नागौर एक कृषि प्रधान जिला रहा है। जिले में जमीन व जलाषयों से आमजन का गहरा लगाव रहा है और इसी के चलते यहां प्राचीन समय से ही तालाब, नाडी, बावड़ी इत्यादि के रूप में बडी संख्या में जलाषय है और यही जलाषय आम जनता के पेयजल के स्त्रोत के रूप में काम आते रहे हैं। उक्त जलाषयों का निर्माण, खुदाई ,रख-रखाव गांवो की शामलाती सम्पदा के रूप में ग्रामीणों द्वारा किया जाता रहा है। गत वर्षो में जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजनान्तर्गत 925 माॅडल तालाबों की स्वीकृतियां जारी कर क्रियान्वयन किया गया है। उक्त माॅडल तालाबों में पानी की आवक के अवरोध हटाकर फीडर को खुला किया जावें तो कम वर्षा में भी उक्त तालाब पानी से लबालब हो सकते है तथा वर्षपर्यन्त उक्त तालाब पानी से भरे रह सकते है। इसी प्रकार उक्त तालाबों का केचमेंट एरिया भी काफी बड़ा है तथा इनकी पालें भी काफी थोड़ी है इन तालाबों के केचमेंट एवं पालों पर ’’सघन पौधारोपण’’ किया जावें तो उक्त तालाब हरे-भरे रह सकते है। इसी मुहिम पर युद्ध स्तर पर काम करते हुए सफलता के पायदान तक ले जाने और जिले के तालाबों के रूप में परम्परागत व प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण व संवर्धन, सुरक्षा व सौन्दर्यकरण के पावन प्रतिपाद्य (थीम) को ध्यान में रखते हुए एक नवाचार के रूप में ’’हरा-भरा तालाब’’ अभियान की शुरूआत करने की पहल जिला कलक्टर एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक (ई.जी.एस.) डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी द्वारा की जा रही है।
अपना गांव-अपना तालाब का नारा
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया कि ’’हरा-भरा तालाब’’ अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए दानवीरों /दानदाताओं /भामाषाहों तथा आमजन को अभियान से जोड़ा जावें यथा तालाब को गोद लेने, मषीनरी/सामग्री, श्रमदान के रूप में उनका सक्रिय सहयोग एवं निरन्तर सहभागिता सुनिष्चित की जाए, इसके लिए अपना गांव-अपना तालाब का नारा दिया गया है ताकि अन्ततः गांव का तालाब ’’अपना गांव अपना तालाब‘‘ की भावना से परिपूर्ण होकर वास्तव में स्वच्छ वर्षा जल से भरा रहे तथा इसके चारों और पौधारोपण करके हरियाली से आच्छादित हो जाए।
हर ग्राम पंचायत में विकसित होंगे माॅडल तालाब
जल, जल स्त्रोत एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी के अभिनव अभियान हरा-भरा तालाब के तहत जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक माॅडल तालाब विकसित किया जाएगा। मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद जवाहर चौधरी ने बताया कि उपलब्धता के आधार पर एक से अधिक तालाबों का चयन भी किया जा सकता है। हरा-भरा तालाब अभियान में तालाब, बावड़ी व नाडी के संरक्षण और सौन्दर्यकरण तथा इसके कैचमेंट एरिया में हरियाली का काम मुख्य रूप से होगा। इसे लेकर संबंधित ग्राम विकास अधिकारियों को आवश्यक दिषा-निर्देश भी दिए गए हैं। ग्राम विकास अधिकारियों को अभियन में शामिल में किए गए तालाब, नाडी अथवा बावड़ी का पूर्ण विवरण तैयार करना है, जिसमें संबंधित परम्परागत जल स्त्रोतों की जल भराव क्षमता, तालाब के पाल की लम्बाई एवं चैड़ाई, तालाब का कुल केचमेंट का क्षेत्रफल आदि जानकारी शामिल की जानी है। इसके साथ-साथ चयनित माॅडल तालाब में वर्षा जल की आवक (इनलेट-फीडर) मार्ग में अवरोधको का चिन्हीकरण करना, तालाब भरने की स्थिति में जल के सुरक्षित बाहर बहाव मार्ग एवं अवरोधकों का चिन्हीकरण किया जाएगा। ग्राम विकास अधिकारी द्वारा गांव के चयनित माॅडल तालाब की पाल तथा केचमेंट एरिया में पौधारोपण की सम्भावना का आंकलन करके कुल पौधारोपण की संख्या ज्ञात करने के साथ-साथ पौधारोपण के लिए पौधो की किस्म तथा उस किस्म के पौधों की उपलब्धता सुनिष्चित की जाएगी। इसके साथ-साथ चयनित माॅडल तालाब के संरक्षण, सुधार एवं सौन्दर्यकरण के लिए आवष्यक अन्य कार्यो का अनुमान भी तैयार किया जाएगा।
तीन घटकों की कार्ययोजना, नजर आएंगे तालाब मित्र, वृक्षा सखा व वृक्ष सखी
अभियान के तहत ग्राम पंचायत के चयनित माॅडल तालाब को ’’हरा-भरा तालाब’’ में रूपान्तरित करने के लिए तीन घटकों मेें पूरी कार्य योजना, तकनीकी अनुमान रिपोर्ट तैयार करके कार्य किय जाना है। इसके लिए तीन घटकों की कार्ययोजना बनाई गई है। कार्ययोजना के पहले घटक के रूप में भामाषाहांे/दानदाताओं द्वारा करवाये जाने वाले कार्य- (एक या अधिक दानदाताओ/भामाषाहों का चयन करना) उक्त सहयोग तालाब को गोद लेने से लेकर किसी कार्य विषेष की जिम्मेदारी लेकर मषीनरी/सामग्री, पौधे उपलब्ध करवाने के रूप में हो सकता है। वहीं दूसरे घटक के रूप में ग्राम वासियों के जन सहयोग से किये जाने वाले कार्य में ग्रामीणों द्वारा अपने स्तर पर राषि एकत्र करना(क्राउड-फडिंग) करके उनकी क्षमता व पसंद अनुसार उपयोगी कार्य करवाना, सामग्री/पौधे/खाद उपलब्ध करवाते हुए सामुहिक श्रमदान (कोविड- 19 की गाइडलाईन की पूर्ण पालना करते हुए) किया जाएगा। इसके साथ-साथ व्यक्तिगत रूप से स्वैच्छा से अभियान में श्रमदान करने वाले ग्रामीणों को ‘‘तालाब मित्र’’, ‘वृक्ष-सखा‘, ‘वृक्ष-सखी‘ नाम दिया है। ये सभी पौधारोपण करने से लेकर पौधो की देख-रेख, सुरक्षा, पानी व खाद देने की जिम्मेदारी वहन करेंगे। इसी प्रकार अभियान की कार्ययोजना के तीसरे घटक के रूप में ग्राम विकास अधिकारी को उस चयनित माॅडल तालाब, जिसका कार्य पूर्व में महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत हुआ है तो तालाब के रख-रखाव, आवक-जावक (इनलेट आउटलेट), घाट-निर्माण, सौन्दर्यकरण के कार्य आदि शेष कार्य, पौधारोपण का कार्य मनरेगा अन्तर्गत गाइडलाईन अनुसार तकनीकी अनुमान एवं स्वीकृति के पश्चात स्वीकृति जारी करवानी है। मनरेगा अन्तर्गत स्वीकृति के साथ भामाषाह/दानदाता/जनसहयोग, श्रमदान से होने वाले कार्यो को शामिल नही किया जावें, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
एक इकाई होगा अभियान में चयनित तालाब, प्रषिक्षित मेट का नियोजन होगा
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी ने बताया कि हरा-भरा तालाब’’ अभियान अन्तर्गत चयनित तालाब स्वतः पूर्ण एक इकाई के रूप में होगा। अभियान के तीनों घटकों भामाषाह/दानादाता का सहयोग, जनसहयोग, मनरेगा अन्तर्गत कार्य का पृथक-पृथक रिकाॅर्ड संधारण किया जायेगा। मनरेगा का कार्य व भुगतान, इसका रिकार्ड संधारण आदि योजना के दिषा-निर्देषों के अनुसार पूर्ववत किया जायेगा। दानदाता/भामाषाह, जनसहयोग के घटकों के योगदान का रिकाॅर्ड संधारण एक पृथक रजिस्टर (प्रति तालाब) में किया जायेगा जो कि ग्राम पंचायत के सरपंच एवं ग्राम विकास अधिकारी द्वारा प्रमाणित कर कार्य-स्थल पर उपलब्ध करवाया जायेगा, तत्पष्चात ग्राम पंचायत में सुरक्षित रखा जायेगा। चयनित तालाब के तीन फोटोग्राफ (कार्यारम्भ से पूर्व का , कार्य के दौरान, कार्य पूर्णता पर) लिये जाकर रिकाॅर्ड में रखे जाएंगे। उक्त चयनित तालाब के कार्य पर प्रषिक्षित मेटों को नियोजन किया जायेगा। महिला मेटों को प्राथमिकता दी जायेगी, साथ ही प्रत्येक मेट को, मेट बैग, मेट डायरी, मेट कार्य निर्देषिका, फीता, केलकूलेटर, दवाईयां, कोविड-19 की पालना में आवष्यक सामग्री (मास्क, सेनेटाइजर, साबुन) आवष्यक रूप से उपलब्ध करवाया जायेगा।
छायादार व फलदार पेड़ों के पौधे लगाए जाएंगे
अभियान हरा-भरा तालाब के तहत चयनित तालाब पर किए जाने वाले पौधरोपण कार्य में छायादार, फलदार, अच्छी उंचाई के पौधे लगवाए जाएंगे। पौधारोपण से पूर्व रिंग-फिट बनवायी जानी आवष्यक है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया कि अभियान के तहत चयनित जिन तालाबांे में वर्षपर्यन्त पानी नहीं रहता है वहंा पर मनरेगा से सार्वजनिक टांका निर्माण करवाया जा सकता है। प्रति तालाब 200-400 पौधे लगाना उचित रहेगा ताकि मनरेगा अन्तर्गत एक श्रमिक पौधों को पानी-खाद देने, सुरक्षा, देखरेख हेतु नियोजित किया जाएगा। पौधारोपण में वैज्ञानिक दृष्टि से निष्चित दूरी का ध्यान रखे जाने के निर्देश दिए गए है। ’’हरा-भरा तालाब’’ अभियान निरन्तर जारी रहेगा। प्रति मंगलवार अभियान की प्रगति की समीक्षा जिला स्तर से की जायेगी।