‘‘कांई काम करो ।’’
‘‘मैं तो खेतीबाड़ी करूं सा ।’’ ‘‘आपकी बेटी बहुत समझदार है इसे और आगे पढ़ाओ ।’’
विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर ।यह प्रेरणादायी व उत्साहवर्धन करने वाला संवाद प्रतिभाशाली बच्चियों के अभिभावक व जिला कलक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी के मध्य हुआ। अवसर था राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित काली बाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी वितरण का। जिला कलक्ट्रेट में आयोजित इस समारोह में वर्तमान में महाविद्यालय शिक्षा में अध्ययनरत 5 बालिकाओं को स्कूटी प्रदान की गई। राज्य सरकार की इस योजना में डीडवाना कॉलेज की चार बालिकाएं व मेड़ता कॉलेज की एक बालिका को स्कूटी प्रदान की गई। प्रतिभाशाली बालिका, जिन्होंने सरकारी विद्यालय में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। ऐसी बालिका अंजली, रूपा शर्मा, हेमलता जांगीड़, प्रियंका कंवर व ज्योति शर्मा को स्कूटी प्रदान की गई। इस अवसर पर जिला कलक्टर डॉ सोनी ने प्रतिभाशाली बालिकाओं को उनकी शिक्षा, प्रतिशत, ऐच्छिक विषय, रूचि आदि के संबंध में जानकारी ली। साथ ही उन्हें करंट टॉपिक, सामान्य ज्ञान से संबंधित अनेक प्रश्न भी पूछें। जिला कलक्टर ने टोक्यो ओलंपिक खेल से संबंधित मीरांबाई चानू तथा सुमित्रानंदन पंत कौन से वाद के कवि हैं आदि प्रश्नों की जानकारी लेकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। साथ ही उन्हें अपने पर आत्मविश्वास रखते हुए बड़ा लक्ष्य निर्धारित करने का भी आह्वान किया। इस अवसर पर माडी बाई मिर्धा राजकीय महिला महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. वृंदासिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर शशिकांत आचार्य, डॉ.. अवधेश शर्मा अनिल, सुभाषचन्द्र नेहरा, सुरेश कुमार भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में अध्ययनरत महाविद्यालयों की छात्राओं से राजस्थान में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए संवाद किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार धरातल से प्राप्त सुझावों के आधार पर अपनी आगामी योजनाओं को बेहतर बना सकेगी। साथ ही, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विद्यार्थियों, विशेषकर बालिकाओं को उनकी इच्छाओं और आशाओं के अनुरूप करिअर में आगे बढ़ने के लिए विशेष शिक्षण एवं समुचित कोचिंग की व्यवस्था करवाई जाए।
सीएम गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस से आयोजित कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के शुभारंभ समारोह के दौरान स्कूटी प्राप्त करने वाली लाभार्थी छात्राओं से संवाद कर रहे थे। उन्होंने छात्राओं से उनकी पढ़ाई, परिवार की स्थिति, करिअर के लक्ष्य पर चर्चा की तथा बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए शुरू की गई योजनाओं पर फीडबैक लिया। उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों, जिला कलक्टरों और कॉलेज प्राचार्यों को निर्देश दिए कि विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई सभी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद एवं पात्र छात्र-छात्राओं तक पहुंचाना सुनिश्चित करें।
संवाद के दौरान छात्राओं ने स्कूटी योजना के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि स्कूटी मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, क्योंकि इससे उनको अपनी आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज अथवा कोचिंग के लिए जाने में सहूलियत होगी। अब उनको अध्ययन के लिए घर से दूर तक जाते समय किसी पर निर्भर नहीं रहना होगा। कई छात्राओं ने बताया कि वे पूर्व में राज्य सरकार की निशुल्क साइकिल योजना का भी लाभ ले चुकी हैं। श्री गहलोत ने लाभार्थी छात्राओं को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी तथा बेहतर भविष्य के लिए शुभाशीष दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी अंचल में शिक्षा की अलख जगाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाली वीर बालिका कालीबाई भील नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आदिवासी बालिका और उनके गुरूजी नानाभाई भील ने उस दौर में शिक्षा के महत्व को समझा, जब अंग्रेजों के शासन में हर व्यक्ति को पढ़ने की इजाजत नहीं थी। गुरूजी नानाभाई तथा कालीबाई ने अपनी पाठशाला को बंद करने के सरकारी आदेश को मानने से इंकार किया और अंग्रेजों के दमन के खिलाफ संघर्ष में अपने जीवन का बलिदान कर दिया। सीएम गहलोत ने कहा कि महिला शिक्षा और सशक्तीकरण का एक और उदाहरण महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले का है। इन्होंने समाज और जाति के बंधनों को तोड़कर महिला शिक्षा के लिए अलख जगाई। ऐसी महान विभूतियों से प्रेरणा लेकर राज्य सरकार ने प्राथमिक से स्नातकोत्तर तक निशुल्क शिक्षा जैसी योजनाएं लागू की हैं। सामाजिक चेतना की प्रतीक कालीबाई को भावी पीढ़ी के सामने एक मिसाल के रूप में पेश करने के लिए राज्य सरकार की मेधावी छात्राओं के लिए संचालित सभी स्कूटी योजनाओं को एकीकृत कर कालीबाई के नाम से शुरू किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बालिकाओं की शिक्षा के प्रति सकारात्मक माहौल बना है और बड़ी संख्या में छात्राएं हर स्तर और विषय में छात्रों से आगे निकल रही हैं। इसके बावजूद बालिकाओं की एक बड़ी आबादी आज भी शिक्षा से वंचित है। परिवार और समाज का यह फर्ज बनता है कि वे बालक-बालिका के बीच भेदभाव करना छोड़ें और बालिकाओं को समान रूप से आगे बढ़ने के अवसर दें। उन्होंने कहा कि पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देने का पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी का निर्णय महिला सशक्तीकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम था।
इस दौरान शासन सचिव उच्च शिक्षा एनएल मीणा ने बताया कि इस स्कूटी योजना के तहत वर्ष 2020-21 में कुल 10,050 स्कूटी वितरण का लक्ष्य रखा गया, जिस पर लगभग 60 करोड़ रूपए खर्च होंगे। सभी लाभार्थियों को स्कूटी के साथ ही छात्रा के नाम रजिस्ट्रेशन, पांच वर्ष का बीमा, दो लीटर पेट्रोल और हेलमेट भी दिया जा रहा है। पंचायतीराज चुनाव आचार संहिता के कारण भरतपुर, दौसा, जयपुर, जोधपुर, सवाईमाधोपुर और सिरोही को छोड़कर शेष 27 जिलों में स्कूटी वितरण किया जा रहा है।