विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में शनिवार को साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि मनुष्य अपने शरीर का जीवन भर ध्यान रखता है। लेकिन आखिरी में यही मनुष्य को छोड़ देता है। आत्मा कभी नहीं छोड़ती है। मनुष्य अपने शरीर के लिए हमेशा कमाता है और भागता रहता है। लेकिन अंत में वही शरीर उसको छोड़ कर चला जाता है। आत्मा जो हमेशा रहने वाली होती है, उसके लिए मनुष्य कुछ नहीं करता है। मरने के बाद मनुष्य के शरीर की सजावट यहीं रखी रह जाती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने आत्मा की शुद्धि के लिए आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। अगर आत्मा शुद्ध हो गई तो जीवन का विस्तार अपने आप ही होता चला जाएगा। जीवन में आगे जाना है तो मनुष्य को शरीर नहीं बल्कि अपनी आत्मा की निर्जरा करने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य को मोक्ष का मार्ग निश्चय ही मिल जाता है। संचालन हरकचंद ललवानी ने किया। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर महेश गुरासा, प्रेमचंद चौरड़िया, जागृति चौरड़िया एवं रसीला सुराणा ने दिए। विजेताओं को सूरजदेवी, मदनलाल सुराणा परिवार की ओर से पुरस्कृत किया गया। जय-जाप की प्रभावना जयमल जैन महिला मंडल द्वारा वितरित की गयीं। आगंतुकों के भोजन का लाभ कमलचंद, हर्षित ललवानी परिवार ने लिया। मुदित पींचा ने बताया कि प्रवचन प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे तक जयमल जैन पौषधशाला में जारी है। इस मौके पर किशोरचंद ललवानी, प्रदीप बोहरा, किशोर सुराणा, पार्षद दीपक सैनी आदि उपस्थित थे।