प्रदेश में नजीर बना नागौर का अभियान लाडेसर : प्रमुख शासन सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग ने दिए समस्त जिला कलक्टर को निर्देश

कुपोषित बच्चों व एनीमिया से ग्रसित बालिकाओं के लिए चलाया गया अभियान लाडेसर

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी के मार्गदर्शन में चलाया गया ‘‘ अभियान लाडेसर‘‘ नागौर जिले में सफलता के पायदान पर पहुंचकर पूरे राज्य के लिए नजीर साबित हुआ है। महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख शासन सचिव ने राज्य के समस्त जिला कलक्टर्स को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि नागौर जिले में कुपोषित बच्चों के लिए नवाचार के रूप में विशेष रूप से चलाए गए अभियान लाडेसर को नजीर मानते हुए इस प्रकार के नवाचार वे अपने जिलों में भी क्रियान्वित करें। महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने सभी जिला कलक्टर को पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि राज्य के सभी जिलों में अतिकुपोषित बच्चों की पहचान तथा उपचार के संबंध में विशेष अभियान चलाया जाए ताकि कोविड की संभावित तीसरी लहर से बच्चों की सुरक्षा के साथ-साथ बच्चों में कुपोषण की दर को कम किया जा सके। इसी मुहिम को सफलता के पायदान तक ले जाने के लिए विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने नागौर में कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को पहचान व उनको स्वस्थ करने के लिए नवाचार के रूप में चलाए गए ‘‘अभियान लाडेसर‘‘ को नजीर मानते हुए अपने अपने जिले में अभियान रूपी कार्य करने के लिए निर्देश दिए हैं।

Dr Jitendra kumar
Dr. Jitendra Kumar : District Collector Nagaur

कुछ यूं शुरू हुई बात और बना ‘‘अभियान लाडेसर‘‘ का प्रारूप

अनेकों डॉक्टर्स और विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई कि संभवतया जब तीसरी लहर आएगी तो उसका सबसे ज्यादा असर बालक बालिकाओं पर पड़ने वाला है। इस आशंका के चलते यह आवश्यक हो गया था कि समय रहते 15 वर्ष तक के बालक बालिकाओं का एक स्वास्थ्य सर्वे करवाया जाए और यदि उनमें कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है विशेषकर कुपोषण अति कुपोषण अथवा एनीमिया तो उसका निदान कर समय रहते उपचार किया जाए और उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाए ताकि वे ना केवल कोरोना बल्कि अन्य समस्त बीमारियों से सुरक्षित रहें। इसी परिकल्पना को लेकर बनाई गई कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जिला कलक्टर डाॅॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी के मार्गदर्शन में टीम हैल्थ नागौर ने एक नवाचार शुरू किया, जिसे नाम दिया गया ‘‘अभियान लाडेसर‘‘। इस अभियान का मुख्य संवाहक महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अभियान तथा शिक्षा विभाग को बनाया गया।

पंचायत स्तर पर बनी कोर कमेटी, 3300 सर्वे टीमों ने किया काम

अभियान को अमली जामा पहनाने के लिए जमीनी स्तर पर सर्वे संचालित करने के लिए जिले के समस्त 500 पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों (च्म्म्व्)की अध्यक्षता में गठित कोर कमेटी को इसके लिए अधिकृत किया गया और उनकी निगरानी में प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रवार एवं जहां जनसंख्या ज्यादा थी वहां इनके अतिरिक्त भी सर्वे टीम का गठन किया गया। वहीं शहरी क्षेत्र में यह दायित्व शहरी संकुल प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (urban cluster elementary education foicer UCEEO urban cluster elementary education foicer UCEEO) को दिया गया। प्रत्येक टीम में एक शिक्षक ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं एएनएम को आवश्यक रूप से शामिल करते हुए अन्य सदस्यों को जोड़ा गया और इस तरह से जिले में लगभग 3300 सर्वे टीमों का गठन किया गया, जिन्होंने घर-घर सर्वे कर कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों तथा एनीमिक बालिकाओं की पहचान की और उन्हें उपचारित किया।

26 दिन के अभियान में 4010 बच्चे कुपोषित तथा 144 बच्चे मिले अतिकुपोषित

जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी के मार्गदर्शन में नवाचार के रूप में शुरू किए गए अभियान लाडेसर का आगाज 27 मई 2021 को किया गया, जो 21 जून को सम्पन्न हुआ। अभियान के जिला नोडल अधिकारी दुर्गासिंह उदावत ने बताया कि 26 दिनों तक संचालित इस अभियान लाडेसर में महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा शिक्षा विभाग की ओर से बनाई गई 3300 सर्वे टीमों ने घर-घर हैल्थ सर्वे करते हुए 4010 कुपोषित तथा 144 अतिकुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया। अभियान के तहत पाए गए अतिकुपोषित बच्चों को तत्काल चिकित्सकीय सुविधा मुहैया करवाई गई, जिसमें उन्हें निकटवर्ती राजकीय चिकित्सा संस्थान के एमटीसी वार्ड में रैफर किया जाना भी शामिल रहा। इसके साथ ही पूरक पोषहार के तौर पर इन बच्चों को लाडेसर पोषण किट भी वितरित किए गए। वहीं कुपोषित बच्चों को घर पर ही विशेष देखरेख की हिदायत के साथ-साथ पूरे पोषहार के लिए लाडेसर पोषण किट दिए गए।

एनीमिक किशोरी बालिकाओं का भी हुआ उपचार

नागौर जिले में किए गए नवाचार ‘‘अभियान लाडेसर‘‘ के तहत किए गए हैल्थ सर्वे में 2049 ऐसी किशोरी बालिकाएं भी चिन्हित की गईं, जो एनीमिया से ग्रसित पाई गईं। इन किशोरी बालिकाओं को भी आयरन फोलिक एसिड की टेबलेट के साथ लाडेसर पोषण किट वितरित किए गए। साथ ही इन बालिकाओं को व्यवहार परिवर्तन का पाठ भी हैल्थ टीमों द्वारा पढ़ाया गया।

ये बातें, जो अभियान को बनाती विशेष

– ‘‘अभियान लाडेसर‘‘, वह मुहिम, जिसका संपूर्ण मार्गदर्शन स्वयं जिला कलक्टर नागौर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने किया, और तीन विभाग चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास तथा शिक्षा, की टीमों ने मिलकर इसमें काम किया।

– अभियान के तहत न केवल अतिकुपोषित, कुपोषित बच्चों तथा एनीमिया से ग्रसित किशोरी बालिकाओं की पहचान की गई, बल्कि उन्हें लाडेसर पोषण किट और आवश्यक मल्टीविटामिन मेडिसिन किट भी वितरित किए गए।

– लाडेसर पोषण किट को तैयार करने के लिए भामाशाहों को प्रेरित कर चिन्हित कुपोषित एवं अति. कुपोषित बालक-बालिकाओं को वितरित किया गया। इसके साथ ही चिन्हित किषोरी बालिकाओं को लाडेसर पोषण किट के साथ आयरन एवं फाॅलिक एसिड़ तथ मल्टीविटामिन का मैडिसन किट भी दिया गया। पोषण किट के अतिरिक्त गांवों में भामाशाहों ने अतिकुपोषित व कुपोषित बच्चों को सूखे मेवे व देशी घी भी वितरित किया।

– अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों को भामाशाहों के सहयोग से एमयुएसी टेप तथा वेट मशीन भी मुहैया करवाई गई, जिससे यहां संसाधनों का भी अभाव दूर हुआ।

लाडेसर पोषण किट में क्या-क्या..

अभियान के तहत चिन्हित कुपोषित/अति कुपोषित बच्चों एवं एनीमिक किशोरी बालिकाओं के उपचार के लिए दवाइयों के साथ-साथ प्राकृतिक रूप में ऐसी सामग्री दी गई, जो उनके मुख्य आहार के साथ-साथ दी जा सके और जो हर जगह सुलभ हो। इसके लिए विशेषज्ञों की राय एवं डाइटिशियंस से परामर्श के उपरांत खिचड़ी एवं नाश्ते का एक किट तैयार करवाया गया जिसका नाम रखा गया ‘‘लाडेसर पोषण किट‘‘ । इस लाडेसर पोषण किट में चना दाल, मोठ दाल, चावल, मूंगदाल, अरहर दाल, सोयाबिन, गुड़, मूूंगफली तथा भूने हुए चने को डाइटिशियंस के परामर्श के आधार पर निर्धारित मात्रा में शामिल किया गया।

प्रथम व दूसरा हैल्थ फाॅलोअप पूरा, अब तीसरा फाॅलोअप 1 सितम्बर से

अभियान लाडेसर के तहत चिन्हित किए गए अतिकुपोषित व कुपोषित बच्चों तथा एनीमिया ग्रस्ति किशोरी बालिकाओं को दिए गए आवश्यक उपचार के बाद उनका पहला हैल्थ चैकअप फाॅलोअप 01 से 07 जुलाई तथा दूसरा हैल्थ चैकअप के मध्य किया गया। अब तक हुए दो फाॅलोअप के अनुसार अभियान में चिन्हित किए गए 144 अतिकुपोषित बच्चों में से 85 बच्चे अतिकुपोषण के दायरे से बाहर हो गए। इसी प्रकार अभियान के तहत चिन्हित किए गए 4010 कुपोषित बच्चों में से 1129 बच्चे सामान्य श्रेणी में आ गए हैं। वहीं 2049 एनीमिक किशोरी बालिकाओं में से 377 रक्तअल्पता से मुक्त हो चुकी है। इस अभियान के तहत तीसरा हैल्थ फाॅलोअप आगामी एक सितम्बर 2021 से शुरू होगा।