तप-त्याग पूर्वक मनाया जैनाचार्य शुभचंद्र महाराज का तीसरा स्मृति दिवस

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयगच्छाधिपति 11वें पट्टधर आचार्य शुभचंद्र महाराज का तीसरा स्मृति दिवस मंगलवार को जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में तप-त्याग पूर्वक मनाया गया। इस दौरान जयमल जैन पौषधशाला में साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि आचार्य सम्राट शुभचंद्र महाराज इस युग के यशस्वी आचार्य थे। वे अत्यंत सरल एवं वात्सल्य वारिधि थे। सच्चे अर्थों में उन्होंने जीवन के रहस्य को समझ लिया।

सभी के साथ आत्मीयता पूर्ण व्यवहार एवं सरलता में उनका दृढ़ विश्वास था। हर जाति, हर वर्ग का व्यक्ति उनके प्रति अत्यंत आस्था एवं श्रद्धा का भाव रखता था। अपने जीवन के पिछले डेढ़ दशक में शारीरिक रूप से अस्वस्थ रहने के बावजूद भी मानसिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ थे। मन की विचारधारा गंगा के स्वच्छ जल के समान थी। कई बार शारीरिक से अस्वस्थता होने पर भी वे कहा करते यह तो देह का दंड है। जब तक देह है, तब तक देह पीड़ा को सहन करना पड़ेगा। सदा मंद मुस्कान उनकी एक चिर परिचित मुद्रा थी। उनके दर्शनार्थ आने वाला हर व्यक्ति उनके दर्शन करने के बाद ऐसा महसूस करता कि उसने सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त कर लिया। वास्तव में वे तीर्थरूप थे। आचार्य शुभचंद्र महाराज का रायपुर मारवाड़ में 14 घंटे के संथारे के साथ समाधि मरण हुआ। साध्वी ने कहा पर्युषण पर्व का चतुर्थ दिवस यह संदेश देता है कि सम्यक ज्ञान, दर्शन, चरित्र और तप की आराधना करते हुए मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए। दान, शील, तप, भावना के द्वारा ही मोक्ष रूपी मंजिल में प्रवेश किया जा सकता है। मोक्षगामी आत्माओं का वर्णन सुनने से स्वयं के भी चरण मोक्ष पथ की ओर अग्रसर बन जाते है।


जीव-दया के हुए कार्य

संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन और चौपाई की प्रभावना तथा प्रश्नोत्तरी विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी ललित, विदित, निमित सुराणा परिवार रहें। आचार्य शुभचंद्र महाराज की स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को संघ द्वारा विशेष जीव-दया के कार्य किये गए। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी, किशोरचंद ललवानी, जितेंद्र चौरड़िया, नगराज ललवानी, संगीता चौरड़िया, ममता चौरड़िया ने जीव-दया में अपनी सेवाएं प्रदान की। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर विनीता पींचा, प्रेमलता ललवानी, ललिता छल्लानी, कंचनदेवी ललवानी, राजकुमार नाहटा एवं धनराज सुराणा ने दिए। पांचीदेवी ललवानी ने 5 उपवास एवं तोषिना ललवानी ने 4 उपवास के प्रत्याख्यान साध्वी वृंद से ग्रहण किए। आगंतुकों के भोजन का लाभ निर्मलचंद, लोकेश चौरड़िया परिवार ने लिया।