विनय एक्सप्रैस समाचार, नागौर। कृृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में डीएपी आपूर्ति में सुधार लाने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। साथ ही उन्होंने किसानों से विकल्प के तौर पर सिंगल सुपर फाॅस्फेट (एसएसपी) एवं एनपीके का उपयोग करने की अपील की है।कृषि मंत्री ने बताया कि हमारे देश में डीएपी उर्वरक की आपूर्ति काफी हद तक विदेशी आयात पर निर्भर है। इस साल आयात कम होने से पूरे देश में ही डीएपी की मांग एवं आपूर्ति में अंतर बढ़ गया है, जिससे अन्य राज्यों के साथ ही राजस्थान भी प्रभावित हुआ है। केन्द्र सरकार ने राज्य में इस साल अप्रेल से सितम्बर माह के दौरान 4.50 लाख मैट्रिक टन मांग के विरूद्ध 3.07 लाख मैट्रिक टन डीएपी ही आपूर्ति की। साथ ही अक्टूबर महीने में 1.50 लाख मैट्रिक टन मांग के विरूद्ध 68 हजार मैट्रिक टन डीएपी स्वीकृत की है। इससे राज्य में डीएपी की कमी हो गई है। राज्य सरकार डीएपी की आपूर्ति में सुधार के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वह स्वयं और कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अधिकारियों से दैनिक सम्पर्क बनाए हुए हैं और डीएपी आपूर्ति में सुधार के लिए प्रयास कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने आपूर्ति में सुधार कर डीएपी की कमी को दूर करने के लिए आश्वस्त किया है।
अतिरिक्त सल्फर के कारण एसएसपी अपेक्षाकृत अधिक लाभदायक
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि विभाग किसानों को वैकल्पिक फाॅस्फेटिक उर्वरक सिंगल सुपर फाॅस्फेट (एसएसपी) एवं एनपीके का उपयोग करने की सलाह दे रहा है, ताकि डीएपी की कमी से संभावित नुकसान से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि एसएसपी एक फाॅस्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें 18 प्रतिशत फाॅस्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पाई जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है।
एसएसपी डीएपी की तुलना में सस्ता एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध
श्री कटारिया ने बताया कि एसएसपी उर्वरक डीएपी की तुलना में सस्ता एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध है। प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फाॅस्फोरस एवं 9 किलोग्राम नाइट्रोजन पायी जाती है। यदि विभागीय सलाह अनुसार डीएपी के विकल्प के रूप में 3 बैग एसएसपी एवं 1 बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है, तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन एवं फाॅस्फोरस तथा अतिरिक्त सल्फर प्राप्त किया जा सकता है। इससे 24 किलोग्राम फाॅस्फोरस, 20 किलोग्राम नाइट्रोजन एवं 16 किलोग्राम सल्फर मिलता है। उन्होंने बताया कि डीएपी के एक बैग की कीमत 1200 रूपए है, वहीं एसएसपी के 3 बैग की लागत 900 रूपए एवं यूरिया के एक बैग की लागत 266 रूपए सहित कुल 1166 रूपए खर्च होंगे जो डीएपी के खर्चे से कम है। उन्होंने काश्तकारों के मध्य एसएसपी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभागीय स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार करने के भी निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार ने प्रत्येक स्तर पर निरन्तर गंभीर प्रयास किए
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार काश्तकारों को समय पर उर्वरक मुहैया कराने के लिए प्रत्येक स्तर पर निरन्तर गंभीर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया एवं राज्य के मुख्य सचिव ने अगस्त एवं सितम्बर माह में केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, केन्द्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी एवं उर्वरक सचिव से पत्राचार करके पर्याप्त डीएपी आपूर्ति का आग्रह किया। साथ ही कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने केन्द्रीय उर्वरक सचिव को व्यक्तिशः उपस्थित होकर राज्य में डीएपी की कमी के कारण उत्पन्न स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी। गत दिनों मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में उत्पन्न डीएपी संकट एवं किसानों की कठिनाई की ओर ध्यान आकर्षित कराया और कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव को दिल्ली भेजा।