विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। जयमल जैन पौषधशाला में जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में मंगलवार को नौ दिवसीय नवपद ओली तप आराधना प्रारंभ हुई। साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने नवपद ओली तप आराधना के दौरान कहा कि हर जीव का चरम और परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति करना होता है। उस साध्य तक पहुंचने के लिए साधना करना नितांत आवश्यक है। भगवान महावीर ने 12.5 वर्ष तक कठोर साधना करते हुए परमात्मा पद प्राप्त किया। साधना से ही सिद्धि प्राप्त होती है। कोई भी धर्म क्रिया निष्फल नहीं होती है, लेकिन साधक को फल की प्राप्ति के लिए साधना नहीं करनी चाहिए। फल तो स्वत: ही प्राप्त हो जाता है। साध्वी ने नवपद आराधना का महत्व बताते हुए कहा कि अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, ज्ञान, दर्शन, चरित्र, तप इन पदों पर सम्यक् श्रद्धा, आस्था एवं समर्पण रखने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। साधना के अंतर्गत इष्ट के स्मरण के साथ तप और जप जरूरी होता है। आसोज मास का यह शुक्ल पक्ष शक्ति की आराधना का अवसर होता है। यही कारण है कि नवरात्र और नवपद ओली का विशेष महत्व होता है। इन 9 दिनों में आयंबिल तप करने से शारीरिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। तप के समान कोई दवा नहीं होती असाध्य रोग भी तप के प्रभाव से दूर हो जाते हैं। आयंबिल तप करते समय रुखा-सुखा एवं लुखा आहार करने से स्वाद पर विजय प्राप्त किया जा सकता है। स्वाद पर विजय प्राप्त करना स्वयं पर विजय प्राप्त करने के समान है। आयंबिल से अनशन, ऊनोदरी रसपरित्याग तप स्वतः ही हो जाते हैं। इस समय में ऋतु के अनुसार शरीर में भी परिवर्तन हो जाता है। आयंबिल करने से भव-भव के संचित कर्म क्षय हो जाते हैं। आत्मा को तेजोमय बनाने में तप का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
दोपहर में श्रीपाल चरित्र का वांचन
प्रातः 9.15 से 9.30 बजे तक जय-जाप किया गया। तत्पश्चात प्रातः 9.30 से 10.30 बजे तक प्रवचन हुआ। इस दौरान दोपहर 1.30 से 2.30 बजे तक श्रीपाल चरित्र का भी वांचन किया गया। आयंबिल एवं निवि तप करने वाले साधकों के लिए भोजन की व्यवस्था बोहरावाड़ी स्थित उदयचंद ललवानी के निवास स्थान पर रखी गयीं। ओली तप आराधना एवं पारणा का संपूर्ण लाभ भंवरलाल, पुखराज बेताला एंड सन्स, डेह हाल-मुकाम चेन्नई ने लिया है। संचालन संजय पींचा ने किया। प्रवचन की प्रभावना बनेचंद, पवन नाहर परिवार, दिल्ली द्वारा वितरित की गयीं। प्रश्नोत्तरी विजेताओं को सागरमल लुंकड़ परिवार, डेह द्वारा पुरस्कृत किया गया। प्रवचन प्रश्नों के उत्तर विनीता पींचा, कांता कांकरिया, तीजाबाई पींचा, मनोज ललवानी ने दिए। इस मौके पर अमीचंद सुराणा, नरेंद्र चौरड़िया, विनय कांकरिया, पी.प्रकाशचंद ललवानी आदि मौजूद रहें।