साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत डाॅ.राजपुरोहित का हुआ भव्य अभिनंदन

कवि का अप्रिय भाषी होना समाज के लिए सुखद : प्रोफेसर सोहनदान चारण 

विनय एक्सप्रेस समाचार, जोधपुर। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समूह ‘ काव्य कलरव ‘ द्वारा साहित्य अकादेमी से हाल ही में साहित्य अकादेमी सर्वोच्च राजस्थानी अवार्ड 2023 से पुरस्कृत प्रतिष्ठित कवि-समालोचक डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित के अभिनंदन समारोह में

राजस्थानी भाषा के ख्यातनाम विद्वान एवं लोक साहित्य के मर्मज्ञ प्रोफेसर (डाॅ.) सोहनदान चारण ने कवि के सदगुणों पर बात करते हुए कहा कि उसे सदैव निडर होकर लोक कल्याण की बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा एक सच्चा कवि स्वतंत्रता का उपासक होता है इसलिए वो सत्ता एवं समाज के विरूद्ध खड़ा होकर ईमानदारी से अपनी बात कहने की हिम्मत रखता है, वो सदैव कड़वी मगर सच्ची बात करता है इसलिए उसका अप्रिय भाषी होना भी समाज, राष्ट्र एवं मानव मात्र के लिए बहुत शुभ एवं सुखद होता है । इस अवसर पर हाल ही में साहित्य अकादेमी सर्वोच्च राजस्थानी अवार्ड 2023 से सम्मानित होने पर डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित को संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा राजस्थानी साफा पहनाकर, शाॅल ओढ़ाकर, माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर भव्य अभिनंदन किया गया ।

समारोह में प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित ने अपनी राजस्थानी काव्यकृति पळकती प्रीत के विषय में जानकारी देते हुए हुए कहा कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है जिस पूरी ईमानदारी और निष्ठापूर्वक निभानी है । उन्होंने इस आयोजन के लिए काव्य कलरव के सभी सदस्यों का आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि ऐसे साहित्यिक आयोजन से नये रचनाकारों को साहित्य सृजन की सकारात्मक प्रेरणा मिलती है । अभिनंदन समारोह में राजस्थानी के प्रतिष्ठित कवि गिरधरदान रतनू एवं सेवानिवृत्त पुलिस उप अधीक्षक कमलसिंह तंवर को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कवि महिपाल सिंह उज्ज्वल, मोहनसिंह रतनू, महेन्द्रसिंह छायण, गिरधरदान रतनू तथा रतनसिंह चांपावत ने राजस्थानी कविताएं प्रस्तुत कर राजस्थानी संस्कृति की सौरम बिखेरते हुए खूब तालियां बटोरी ।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया । समूह के एडमिन मोहनसिंह रतनू ने स्वागत उदबोधन दिया। समारोह का संचालन सरदारसिंह सांदू ने किया। इस अवसर पर महिपाल सिंह उज्ज्वल, महेंद्रसिंह चारण,अर्जुनदान करमावास, भवानीसिंह कविया, रूपदानसिंह बारठ, हरिसिंह सिंढायच, पुष्पेन्द्र सिंह जुगतावत, जयकरण किनिया, लक्ष्मणदान लालस, ओंकार सिंह कविया, महावीर सिंह मथाणिया, गौरवसिंह अमरावत, महिपाल सिंह चारण, देशराज सिंह बारठ, हिंगलाजदान लालस, महेंद्रसिंह खारी, गोविंदसिंह सिहू , डाॅ.लक्ष्मणसिंह गड़ा, महेंद्रसिंह ढाढरिया, राजेन्द्र सिंह उज्ज्वल, भवानी प्रताप सिंह , महेंद्रसिंह छायण, शिवमंगल सिंह राठौड़, खिवदान लालस, हरिसिंह रतनू, स्वरूप सिंह रतनू, केडी सिंह मथाणिया, रतनसिंह चाम्पावत, डाॅ.अशोक गहलोत, प्रवीण कुमार मथाणिया, गौरवराज बागड़ी सहित अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं मातृ भाषा प्रेमी उपस्थित रहे।