जीव स्वयं ही अपने भाग्य का निर्माता : साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा

जयमल जैन पौषधशाला में पर्युषण पर्व के दूसरे दिन उपस्थित श्रावक।

जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में पर्युषण पर्व आराधना जारी

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर।जयमल जैन पौषधशाला में रविवार को पर्युषण पर्व के दूसरे दिन साध्वी डॉ.बिंदुप्रभा ने प्रवचन में कहा कि पर्युषण पर्व जन-जन को जाग्रत करने वाला महापर्व है। जो व्यक्ति जाग्रत बन अपने पुरुषार्थ को जगा लेता है, उसका सोया हुआ भाग्य भी जाग उठता है। जीव स्वयं ही अपने भाग्य का निर्माता होता है। वर्तमान का पुरुषार्थ ही उसके उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है। सोने वाला साधक जब जाग जाता है, तो वह गमों से किनारा कर लेता है। साध्वी ने तीन प्रकार की जागरणा का वर्णन करते हुए कहा कि साधक को अधर्म जागरण से विमुख होकर धर्म जागरण में प्रवृत्त होना चाहिए। लेकिन जब तक उस स्थिति तक नहीं पहुंचे, तब तक सुदर्शन जागरण द्वारा पाप कर्मों के बंध से बचने का प्रयास करना चाहिए। साध्वी ने अंतगड सूत्र का विवेचन करते हुए कहा कि मेघ जब बरसते हैं तब पर्वत पर तो उसका कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन उपजाऊ भूमि वर्षा के पानी को अपने भीतर समाहित कर फसल पैदा कर डालती है।उसी प्रकार आत्मार्थी भी भगवान की देशना सुनकर उसे आत्मसात् करते हुए अपने आचरण से मोक्ष फल की प्राप्ति कर लेते हैं। संचालन पूनमचंद बैद ने किया। प्रवचन और चौपाई की प्रभावना तथा प्रश्नोत्तरी विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी प्रकाशचंद, प्रदीप, विवेक बोहरा परिवार रहें। गत रविवार को हुई प्रतियोगिता में प्रथम- पुष्पा ललवानी, द्वितीय- भावेश ललवानी एवं तृतीय- कल्पना ललवानी रहीं। सभी विजेताओं एवं प्रतिभागियों को नरपतचंद, भरत चौरड़िया परिवार द्वारा पुरस्कृत किया गया। जगदीश माली ने भजन प्रस्तुत किया। पांचीदेवी ललवानी ने साध्वी वृंद के मुखारविंद से तेले तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। संघ मंत्री हरकचंद ललवानी एवं संघ प्रवक्ता संजय पींचा ने बताया कि अंतगड सूत्र का वाचन तथा प्रवचन प्रतिदिन प्रातः 9 से 10.30 बजे तक आयोजित हो रहा है। खांगटा से कोठारी परिवार साध्वी वृंद के दर्शनार्थ पधारें। आगंतुकों के भोजन का लाभ नरपतचंद, भरत चौरड़िया परिवार ने लिया। इस मौके पर किशोरचंद ललवानी, प्रेमचंद चौरड़िया, धनराज सुराणा, भीखमचंद ललवानी सहित सैंकड़ो श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।