जिला उपभोक्ता आयोग का निर्णय : व्यक्तिगत दुर्घटना जीवन बीमा दावा की राशि समस्त परिलाभ व क्षतिपूर्ति सहित अदा करने का आदेश

विलम्ब के आधार पर मृत्यु क्लेम खारिज करना उचित नहीं क्लेम वाजिब होने पर अटका नहीं सकती बीमा कम्पनी
खेत में काम करते विद्युत करंट से हुई मौत दुर्घटना


विनय एक्सप्रैस समाचार, नागौर।
 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि ग्रुप इंश्योरेंस के मामलों में बीमा कंपनी को अंशदाता का मृत्यु- क्लेम विलम्ब से पेश करने के आधार पर भुगतान करने से इंकार करने का अधिकार नहीं है।
मामले के अनुसार गाजू, मूण्डवा निवासी राजूदेवी आदि ने आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि गाजू ग्राम सेवा सहकारी समिति तथा केन्द्रीय सहकारी, बुटाटी ने उसके पति रामरतन की जीवन सुरक्षा के लिए सहकारी ऋण खाते में से प्रीमियम राशि की कटौती कर युनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी से व्यक्तिगत दुर्घटना जीवन बीमा करवाया। बीमा अवधि के दौरान दिनांक 19 जून, 2017 को उसके पति की खेत में सिंचाई करते समय विद्युत करंट लगने से मृत्यु हो गई मगर बीमा कम्पनी ने मृत्यु का कारण संदिग्ध बतलाने के साथ-साथ सूचना 186 दिन बाद देरी से पेश करने के आधार पर क्लेम खारिज कर दिया।


आयोग के अध्यक्ष डॉ श्यामसुंदर लाटा, सदस्य बलवीर खुडखुडिया व चंद्रकला व्यास की न्यायपीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय में कहा कि सामूहिक मास्टर बीमा पॉलिसी के मामले में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर बीमा कंपनी को विलम्ब के आधार पर उसका क्लेम खारिज करने का अधिकार नहीं है। इस मामले में परिवादीगण ग्रामीण परिवेश से होकर मृतक की विधवा पत्नी व अवयस्क पुत्र-पुत्रियां है, जिनसे सदमें की परिस्थितियों में तुरंत सूचना दिये जाने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। इसके अलावा पुलिस जांच में भी रामरतन की मृत्यु विद्युत करंट लगने से होना बताया है, करंट लगने के बाद रामरतन को जिला चिकित्सालय, नागौर में लाये जाने पर चिकित्सक ने भी विद्युत करंट से मृत्यु होना दर्शाया। इन सब स्थितियों में रामरतन की मृत्यु विद्युत करंट लगने के तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में बीमा कंपनी द्वारा रामरतन की मृत्यु को संदिग्ध बतलाना तथा विलम्ब से सूचना देने को आधार बनाकर क्लेम खारिज करना उनकी सेवाओं में घोर त्रुटि होने के साथ साथ विधि विरूद्ध एवं अनुचित भी है। आयोग की पीठ ने बीमा कंपनी युनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी को आदेश दिया कि वह परिवादीगण राजू देवी आदि को रामरतन की व्यक्तिगत दुर्घटना जीवन बीमा क्लेम की राशि समस्त परिलाभों सहित नौ प्रतिशत ब्याज के साथ दो माह की अवधि में प्रदान करें। इसके अलावा बीमा कंपनी परिवादीगण आदि को शारीरिक व मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के रूप में दस हजार रुपए व परिवाद व्यय के रूप में पांच हजार रुपए भी अदा करें। दो माह में राशि अदा नहीं करने पर बीमा कंपनी युनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस को इस राशि पर भी नौ प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज देना होगा।।