रेवतदान चारण की स्मृति में कवियों ने राजस्थानी संस्कृति की सौरभ बिखेरी 

बेटियां सदैव बाप रौ रक्सा कवच हुवै : अर्जुनदेव चारण 

विनय एक्सप्रेस समाचार, जोधपुर। साहित्य संस्थान सिटिजन्स सोसाइटि फाॅर एज्यूकेशन द्वारा राजस्थानी भाषा के कालजयी कवि रेवतदान चारण की जन्म शताब्दी पर उनकी स्मृति में आयोजित राजस्थानी कवि सम्मेलन में कवियों ने शानदार प्रस्तुति देते हुए राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति की सौरभ बिखेर कर उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया । ख्यातनाम कवि डाॅ.अर्जुनदेव चारण ने राजस्थान की ऐतिहासिक नायिका मेवाड़ की राजकुमारी ‘ कृष्णा कुमारी ‘ के जीवन पर आधारित कविता पढते हुए कहा कि – बेटियां सदैव पिता का रक्षा कवच होती है ।

” भाबोसा ! म्हैं /आपरौ रिच्छा कवच हा / जचै ज्यूं /धारण करौ म्हांनै / म्हारौ धरम है / आपनै बचावणौ / बेटियां है तो घर है / घर है तो भरोसो है / भरोसो है तो प्रीत है / प्रीत है तो जूण है / जुण हो तो सांस है / सांस है तो आस है / अर / इणी आस रै बुत्तै आप हौ । ” अपने चीर परिचित अंदाज में कविता सुनाकर प्रोफेसर चारण ने कवि सम्मेलन को ऊंचाइयां प्रदान की । इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन में उपस्थित श्रोताओं ने काव्य रस का खूब आंनद उठाया।

वरिष्ठ कवि श्यामसुन्दर भारती ने अपनी कविता ‘ अब जुद्ध नहीं ‘ सुनाकर प्रेम और विश्व शांति का सकारात्मक संदेश दिया । कवि श्यामसुन्दर बोड़ा ने ‘ बोल म्हारा गांव, वौ झूपड़ौ कठै ‘ सुनाकर राजस्थानी ग्रामीण संस्कृति की अनूठी छट्टा बिखेरी । डिंगल कवि मोहनसिंह रतनू ने नारी मन की कौमल भावनाओं को बारीकी से उकेरते हुए अपनी गेय काव्य रचना ‘ छैल भंवर म्हांनै जैपर घुमादयौ जी ‘ सुनाकर खूब तालियां बटोरी। राजस्थानी भाषा की सुमधुर कवयित्री डाॅ.सुमन बिस्सा ने श्रृंगार रस से सराबोर काव्य रचना ‘ गजबण गजब करै ‘ सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया । कवि गजेसिंह राजपुरोहित ने राजस्थानी प्रीत परंपरा को रेखांकित करते हुए अपनी काव्य रचना ‘ परदां में निजर मती धरजै, भरम री भींत टूट जासी ‘ के माध्यम से वर्तमान प्रेमियों की पीड़ा को उजागर कर वाह वाही लूटी । कवि वाजिद हसन काजी ने ‘ आओ इक जाजम पर बैठा बात करा ‘ प्रस्तुत कर सामाजिक सद्भाव का सकारात्मक संदेश दिया। कवि एन.डी. निम्बावत ने ‘ केसर जैड़ी चुनरियां, गुलाबी थांरी चोळी ‘ सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को युवा मन के अल्हड़पन का अह्सास कराया । कवि श्यामसिंह सजाड़ा ने धरती गीत ‘ रणबंकौ राजस्थान ‘ के मार्फत राजस्थान का यशोगान उजागर किया। युवा कवि महेन्द्रसिंह छायण ने कालजयी कवि रेवतदान चारण को दोहामय काव्यांजली प्रस्तुत करते हुए अपनी जोशीले अंदाज में ‘ जठै अजै तक रचै कविता रीत ‘ सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी कड़ी में युवा कवि जितेन्द्रसिंह साठीका ने देश भक्ति से परिपूर्ण काव्य रचना ‘ भारत माता – भाग्य विधाता ‘ सुनाकर अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय दिया । कवि सम्मेलन का सरस संचालन डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित ने किया ।

 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं कालजयी कवि रेवतदान चारण के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया । तत्पश्चात कवयित्री डाॅ. सुमिता व्यास मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की । संस्थान के अध्यक्ष किशनगोपाल जोशी ने स्वागत उदबोधन देते हुए सभी कवियों का माल्यार्पण कर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कवि सम्मेलन के समापन पर संस्थान के सचिव मोहनदास वैष्णव ने सभी का आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर ख्यातनाम शाइर शीन क़ाफ निजाम, प्रोफेसर सोहनदान चारण, डाॅ. रमाकांत शर्मा डाॅ. पद्मजा शर्मा, डाॅ. चांदकौर जोशी, दिनेश सिंदल, अफजल जोधपुरी, डाॅ.निसार राही, भंवरलाल सुथार, बसंती पंवार, शीन मीम हनीफ, डाॅ. सुखदेव राव, इश्राकुल इस्लाम माहिर, निर्मला राठौड़, कैलाश दान लालस, नफासत भाई , कालूराम प्रजापत, खेमकरण लालस, डाॅ. जीवराजसिंह चारण, मंजू जांगिड़, पूजा राजपुरोहित, डाॅ.अमित गहलोत, डाॅ.भींवसिंह राठौड, दिलीपसिंह राव , जगदीश मेघवाल, विष्णुशंकर, मगराज, डाॅ. कमलकिशोर, मनोजसिंह सहित अनेक भाषाओं के प्रतिष्ठित साहित्यकार, शायर, गणमान्य नागरिक एवं मातृभाषा प्रेमी मौजूद रहे ।