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इन विनियमों में मेडिकल कॉलेज हेतु विभिन्न न्यूनतम आवश्यकताओं को वर्णित करते हुए यह भी निर्धारित किया गया है कि एमबीबीएस के विद्यार्थियों को पढाने हेतु केवल चिकित्सक शिक्षक (एमबीबीएस एमडी डिग्री धारी) ही नियुक्त किए जाने चाहिये।
पूर्व में कुछ विषयों में चिकित्सक शिक्षकों (एमबीबीएस एमडी डिग्री धारी) की उपलब्धता नहीं होने पर गैर चिकित्सक शिक्षक (जो सामान्यतः बीएससी एमएससी पीएचडी डिग्री रखते हैं) की नियुक्ति 30 प्रतिशत तक की जा सकती थी किंतु इसे अब घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
यद्यपि इस नियम के आने से पूर्व में स्थाई रूप से नियुक्त गैर एमबीबीएस शिक्षकों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि जहां एमबीबीएस एमडी/एमएस की सीट की अनुमति एवं मान्यता एमसीआई / एनएमसी द्वारा 5 वर्ष तक सतत निरीक्षण करने के उपरांत दी जाती है, वहीं एमएससी और पीएचडी के पाठ्यक्रम किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा बिना किसी वैधानिक नियामक संस्थान (एम सीआई / एन एम सी के समकक्ष) की निगरानी के चलाए जाते हैं। जिसमे कुछ संस्थानों में एमएससी पाठ्यक्रम की अवधि 2 वर्ष तो कुछ संस्थानों में तीन वर्ष निश्चित है। इस प्रकार इस उपाधि के लिए एकरूप पाठ्यक्रम, न्यूनतम अर्हता एवं मानक निर्धारित नहीं है। ना ही इस उपाधि धारक का कोई पंजीकरण होता है अतः ऐसी डिग्री को एमबीबीएस एमडी के समकक्ष नहीं रखा जा सकता।
साथ ही चिकित्सक शिक्षकों पर एनएमसी के पेशेवर आचरण विनियम लागू होते हैं अर्थात उन पर एनएमसी नियामक संस्था के रूप में कार्य करती है और आवश्यकता होने पर उन पर
अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जा सकती है। जबकि गैर एमबीबीएस शिक्षकों के नियमन अथवा नियंत्रण की ऐसी कोई व्यवस्था मौजूद ही नहीं है।
यह भी उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, विधि महाविद्यालय, फार्मेसी, नर्सिंग जैसे सभी व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के अध्यापन के लिए उसी डिग्री धारी एवं पंजीकृत विषय विशेषज्ञ को ही नियुक्त किया जाता है जबकि मेडिकल कॉलेजों में इस बिंदु की लंबे समय से अनदेखी की जाती रही है एवं इसमें सुधार के लिए लंबे समय से मांग की जाती रही है।
नए विनियमों के द्वारा इस दिशा में आए निर्देशों से चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता और चिकित्सक शिक्षकों की जवाबदेही बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
ऑल इंडिया प्री एंड पैरा क्लिनिकल मेडिकल एसोसिएशन की लंबे समय से यह मांग रही है कि मेडिकल कॉलेजो में केवल मान्यता प्राप्त और द्य पंजीकृत चिकित्सक शिक्षक (एमबीबीएस/एमडी) ही नियुक्त हों जिससे देश को योग्य चिकित्सक मिल सकें और देश की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि हो सके। इस विनियम के माध्यम से एनएमसी द्वारा जारी निर्देश स्वागतयोग्य हैं किंतु गैर एमबीबीएस शिक्षकों की नियुक्ति मैं छूट को समाप्त किया जाना चाहिए और इस नियम में प्रदत्त 15 प्रतिशत प्रतिशत छूट को भी समाप्त किया जाना चाहिए।