विनय एक्सप्रेस समाचार, श्रीगंगानगर। ‘नेत्रदान वर्तमान की जरूरत है, हम न केवल स्वयं नेत्रदान करें बल्कि अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें तभी नेत्रदान-महादान का नारा सार्थक होगा। क्योंकि नेत्रदान से बड़ा कोई दान नहीं है, यह जरूर करें ताकि किसी की जिंदगी रोशन हो सके।’ ये विचार शुक्रवार को सीएमएचओ डॉ. गिरधारी मेहरड़ा ने व्यक्त किए। उन्होंने एक विभागीय बैठक के दौरान यह बात कहते हुए सभी अधिकारियों व कार्मिकों को निर्देशित किया कि पखवाड़े के दौरान आमजन को अधिकाधिक जागरूक करें।
सीएमएचओ डॉ. मेहरड़ा ने बताया कि राष्ट्रीय अंधता व दृष्टि क्षीणता नियंत्रण कार्यक्रम के तहत कॉर्निया की मांग ज्यादा एवं पूर्ति कम होने के कारण आमजन को नेत्रदान के प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है। इसी के चलते राज्य सरकार की अेार से 25 अगस्त से आठ सितंबर तक जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। भारत के महानगरों व बड़े शहरों में प्रतिदिन लगभग एक हजार व्यक्तियों की मृत्यु होती है, इसके अनुमात में यदि इन शहरों में नेत्रदान के लिए दस फीसदी व्यक्तियों को भी प्रेरित किया जाए तो 70 हजार कॉर्निया मिलेंगे। इस प्रकार कॉर्नियल ब्लाइंडनेस के बेकलॉग को जल्दी पूरा किया जा सकता है और किसी की जिंदगी में रोशनी लौटाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि स्त्री या पुरुष केवल अपनी मृत्यु के पश्चात ही नेत्रदान कर सकते हैं। डॉ. मेहरड़ा ने बताया कि नेत्रदान से केवल कॉर्निया से नेत्रहीन व्यक्ति लाभान्वित हो सकता है। नेत्रदान किसी भी उम्र, लिंग, रक्त समूह और धर्म के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। कॉर्निया मृत्यु के एक घंटे के भीतर निकाला जाना चाहिए। नेत्र निकालने में केवल 10 से 15 मिनट लगते हैं तथा चेहरे पर कोई निशान एवं विकृति नहीं होती है। दान की गई आंखों को खरीदा या बेचा नहीं जाता हैं, इसीलिए इसे नेत्रदान कहा गया है। दान नहीं करने की अनेक वजहें हैं, जो सामूहिक भागीदारी से दूर हो सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि सरकारी विभागों के साथ ही आमजन, स्वयंसेवी संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं व मीडिया अपने कर्तव्य को समझते हुए नेत्रदान के लिए सभी को प्रेरित करें, क्योंकि सामूहिक भागीदारी ही नेत्रदान को प्रोत्साहित कर सकती है और किसी की जिंदगी में रोशनी ला सकती है।