विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। केन्द्र सरकार ने उपभोक्ता आयोग की अधिकारिता के बाद अब वैधानिक परिवाद शुल्क में पुन: बदलाव किया है। यह बदलाव प्रतिफल के रूप में भुगतान की गई वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य के अनुरूप अलग-अलग तय किया गया है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के पीठासीन सदस्य बलवीर खुडखुडिया ने बताया कि वस्तुओं व सेवाओं के प्रतिफल के रूप में पांच लाख रूपये तक के मामले में अब भी कोई वैधानिक शुल्क नहीं लगेगा। पांच लाख से अधिक और दस लाख तक के लिए अब दो सौ रूपये वैधानिक शुल्क लगेगा। पहले यह पांच सौ किया गया था। दस लाख से अधिक और बीस लाख तक के लिए अब चार सौ रूपये तथा बीस लाख से अधिक और पचास लाख तक के मामले में अब भी एक हजार रूपये ही वैधानिक शुल्क लगेगा। उन्होंने बताया कि नोटिफिकेशन के अनुसार अब 50 लाख रूपये प्रतिफल तक के वाद ही जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में दायर किये जा सकेंगे। इसी प्रकार राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की अधिकारिता पचास लाख से दो करोड़ तय की गई थी, जिसके लिए भी वैधानिक शुल्क में बदलाव किया गया है। राज्य आयोग की अधिकारिता के पचास लाख से अधिक और एक करोड तक के लिए वही वैधानिक शुल्क दो हजार रूपये तथा एक करोड़ से अधिक और दो करोड़ तक के लिए अब दो हजार पांच सौ रूपये परिवाद शुल्क तय किया गया है। खुडखुडिया ने बताया कि राष्ट्रीय आयोग की अधिकारिता के तहत अब दो करोड़ से अधिक और चार करोड़ तक के लिए अब तीन हजार रूपये, चार करोड़ से अधिक व छह करोड़ तक के लिए चार हजार, छह करोड़ से अधिक व आठ करोड़ तक के लिए पांच हजार रूपये, आठ करोड़ से अधिक व दस करोड़ तक के लिए छह हजार रूपये तथा दस करोड़ से अधिक के लिए सात हजार पांच सौ रूपये परिवाद शुल्क तय किया गया है। इस तरह राष्ट्रीय आयोग में अधिकतम राशि के वाद के लिए अधिकतम परिवाद शुल्क सात हजार पांच सौ रूपये ही रखा गया है। केन्द्र सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग की ओर संशोधित शुल्क निर्धारण सम्बन्धी जारी नोटिफिकेशन तत्काल प्रभाव से जारी होने के साथ ही देशभर के उपभोक्ता आयोगों में प्रकाशन की तारीख से ही लागू हो गया है। गौरतलब है, नये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद करीब दो साल में तीन बार परिवाद शुल्क में बदलाव किया गया है लेकिन अब नया नोटिफिकेशन मूल नोटिफिकेशन का स्थान लेते हुए लागू किया गया है।