जिला कलक्टर ने आमजन से की अपील, अधिक से अधिक संख्या में पहुंचे : पराक्रम दिवस के बने साक्षी
विनय एक्सप्रेस समाचार, जैसलमेर। जिला कलक्टर टीना डाबी ने बताया कि लौंगेवाला की लड़ाई में जीत की वर्षगांठ के अवसर पर सोमवार 5 दिसम्बर, 2022 को प्रातः 9.30 बजे दोपहर 12.30 तक भारतीय सेना द्वारा जैसलमेर मिलट्री स्टेशन स्थित सैन्य संग्रहालय परिसर में पराक्रम दिवस का आयोजन किया जाएगा। इस समारोह में भारतीय सेना की विभिन्न सैन्य सेवाओं की अलग-अलग टीमों द्वारा कई सैन्य गतिविधियों और मार्शल आर्ट का प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह आयोजन आम जनता के लिए खुला रहेगा। जिला कलक्टर ने सभी जिला स्तरीय अधिकारियों और कर्मचारियों को इस समारोह में अनिवार्य रूप से भाग लेने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने आमजन से भी अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहिए। जिला कलक्टर ने आदेश जारी कर पुलिस, पेयजल और नगरपरिषद् को आादेश जारी कर कार्यक्रम स्थल पर कानून व्यवस्था के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात करने, आगुंतकों के लिए पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने और और मोबाइल टॉयलेट स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।
सेना के अधिकारियों के अनुसार इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन वीर सिपाहियों को याद करना और उन्हें श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने युद्ध में सर्वोच्च बलिदान दिया। इसके साथ ही इस कार्यक्रम द्वारा लोगों में गर्व की भावना और भूतपूर्व सैनिकों के साथ एकजुटता का संदेश दिया जायेगा।
क्या होगा इस समारोह में
कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, हथियारों और उपकरणों का प्रदर्शन होगा और सेना की मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स टीम, मलखंभ टीम और डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल टीम का प्रदर्शन भी होगा। राजस्थान के रंगों को प्रदर्शित करने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम एक अतिरिक्त आकर्षण होगा। युवा अधिकारियों के लिए ट्रायथलॉन प्रतियोगिता एक दिन पहले आयोजित की जाएगी और विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। जैसलमेर में होने वाले कार्यक्रमों से पहले, भारतीय सेना के जोधपुर स्थित कोणार्क कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर लौंगेवाला युद्ध स्मारक पर उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, जिन्होंने लौंगेवाला की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी थी।
क्यों प्रसिद्ध है लौंगेवाला की लड़ाई
लोंगेवाला का युद्ध 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी मोर्चे पर लड़ी जाने वाली सबसे भयंकर और निर्णायक लड़ाइयों में से एक थी जो की भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है।