उपराष्ट्रपति अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन में उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति और मुख्यमंत्री ने की शिरकत
विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनकड़ ने कहा कि देश की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपरा को समृद्ध बनाने में जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्हें जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने तथा लोकतंत्र की गरिमा बनाये रखने के लिए अपने आचरण में अधिक अनुशासन और शालीनता लाने की आवश्यकता है। श्री धनकड़ बुधवार को राजस्थान विधानसभा में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के 83वें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। श्री धनकड़ ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के वक्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान सभा ने जो रास्ता दिखाया, हमें उसका अनुकरण करना चाहिए। श्री धनकड़ ने संवाद और परिचर्चा को प्रजातंत्र का महत्वपूर्ण अंग बताया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान समय में भारत ने हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है और विश्व कल्याण और सामूहिक तरक्की में हम वैश्विक भागीदार बनकर उभरे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत निवेश के लिए सबसे पसंदीदा स्थान बन गया है। कोविड-19 जैसी विकट परिस्थिति में हमने आत्मनिर्भरता का परिचय दिया।
श्री धनकड़ ने सम्मेलन में आए पीठासीन अधिकारियों का आह्वान करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को नियमों की जानकारी देकर तथा उन्हें समझाकर समाज के विकास में उनकी भूमिका बढ़ाएं। इस सम्मेलन के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि सम्मेलन में होने वाले मंथन और विचार-विमर्श से अमृत निकलेगा जो आजादी के अमृत काल में ऊर्जा देगा।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन एक ऐसा मंच है जिसमें संवाद होता है और अनुभव साझा होते हैं ताकि बदलते परिप्रेक्ष्य में विधानमंडलों की भूमिका अधिक कारगर हो सके। श्री बिरला ने कहा कि 75 साल की लोकतांत्रिक यात्रा में विधानमंडल प्रभावी हुए हैं, मगर हमें मंथन करना है कि लोकतांत्रिक भारत की अवधारणा, विचारधारा और कार्यशैली से हम लोगों के जीवन में कैसे बदलाव ला सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को देख रही है। देश में होने वाले आगामी जी-20 सम्मेलन में हमें हमारे लोकतंत्र के बदलाव को दुनिया के सामने रखने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरें और उनके अभावों के समाधान का रास्ता निकालें। संविधान निर्माताओं की मंशा के अनुरूप कानून बनाएं और इस प्रक्रिया में जन भागीदारी बढ़ाएं।
श्री बिरला ने कहा कि विधानमंडलों में चर्चा का स्तर ऊंचा होना चाहिए। कानून बनाने की प्रक्रिया में संवाद, उच्च कोटि की चर्चा और समीक्षा के लिए अधिक समय देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सूचना प्रौद्यागिकी का महत्व बढ़ गया है। देश की जनता विधायी कार्यवाही देखती है। उनके मन पर अच्छा प्रभाव पड़े तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास बढ़े यह हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। आने वाले समय में देश के सभी विधानमंडलों की कार्यवाही एक ही मंच पर देखी जा सकेंगी। इसके लिए डिजिटल संसद का मंच 2023 में जनता को समर्पित करने की उम्मीद है।
श्री बिरला ने पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन से उम्मीद जतायी कि विधायी संस्थाओं में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए ऐसे सम्मेलन एक नई दिशा देंगे और इनमें होने वाली चर्चा का सार्थक परिणाम निकलेगा।
पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में देश के पीठासीन अधिकारियों की सारगर्भित चर्चा में लिए गए फैसले दूरगामी परिणाम लाएंगे। देश के सर्वांगीण विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका साबित होगी। श्री गहलोत ने कहा कि हमें लोकतंत्र को और मजबूत करने का संकल्प लेकर भारतीय संविधान की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रणाली को सुदृढ़ करने में पीठासीन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा और विधानपरिषदों की कार्यवाही को और अधिक प्रभावी बनाने की ज़िम्मेदारी सभी सदस्यों पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि सदन में पक्ष एवं विपक्ष अपना महत्व रखते है। इनके बीच संतुलन बनाने के साथ-साथ सदन की कार्यवाही नियमों के तहत चलाई जाए, यह पीठासीन अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण है। इस चुनौती को स्वीकार कर दायित्वों का निर्वहन करने से सदन की गरिमा बनी रहेगी।
श्री गहलोत ने कहा कि देश अमृत महोत्सव मना रहा है। हम सभी ने लोकतंत्र को मजबूत बनाने का कार्य किया है, इसी से ही न्यायपालिका स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में राजस्थान विधानसभा में कई नवाचार हुए हैं, जिससे विधानसभा की कार्यवाही पारदर्शिता के साथ आमजन तक पहुंच सकी है। वर्ष 1952 के बाद की कार्यवाही को ऑनलाइन करना, बालसभा का आयोजन और परिसर में विश्वस्तरीय संग्रहालय की शुरुआत करना बड़ी पहल है।
राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विधायिका की उत्पादकता प्रभावी करने, देश के युवाओं को राजनीति से जोड़ने तथा विधानमंडलों की कार्यवाही बिना रुकावट चलाने के लिए हमें आत्मचिंतन कर रास्ता तलाशना पड़ेगा। संसद ने हाल में अनेक अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किया है जो कि बदलते समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि डिजिटल के क्षेत्र में देश काफी आगे बढ़ा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन विधायी प्रक्रिया को मजबूत कर लोगों के स्थायी कल्याण में बेहतर भूमिका निभाएगा।
सम्मेलन में स्वागत उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका रूपी तीनों स्तंभों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जनता की अपेक्षाओं के मुताबिक नीतियों का निर्माण विधायिका करती है, इसलिए इसकी जवाबदेही ज्यादा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय की प्रासंगिकता को देखते हुए नीति और कानून में बदलाव की जरूरत है, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा तथा जनता के प्रति हमारी जवाबदेही बढ़ेगी।
डॉ. जोशी ने कहा कि विधानमंडलों को वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी तो वे बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही डिजिटल माध्यम से जनता तक पहुंचाकर सदन की कार्यप्रणाली को ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाया है।
उन्होंने विश्वास जताया कि राजस्थान में आयोजित पीठासीन अधिकारियों का यह सम्मेलन नये सिरे से देश का निर्माण करने में मुख्य भूमिका निभाएगा और लोकतंत्र को मजबूत करने में आदर्श प्रस्तुत करेगा।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाब चंद कटारिया ने सम्मेलन में आए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया और विश्वास जताया कि सम्मेलन में विचार मंथन से जो नवनीत निकलेगा वह आने वाली पीढि़यों को लोकतांत्रिक प्रणाली को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।
इस अवसर पर विधानमंडलों के अध्यक्ष, सभापति, केंद्रीय मंत्री, पूर्व मंत्री, सांसद, विधायक, संसद के दोनों सदनों के महासचिव और विधानमंडलों के प्रमुख सचिव और सचिव उपस्थित रहे।
उपराष्ट्रपति का विधानसभा में स्वागत
इससे पूर्व उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनकड़ का विधानसभा पहुंचने पर आरएसी की बटालियन ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया तथा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया।
दो पुस्तकों का हुआ विमोचन
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में लोकसभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित राष्ट्रपतियों के अभिभाषणों के नये संकलन का विमोचन किया गया।
इसके साथ राष्ट्रमंडल संसदीय संघ राजस्थान शाखा द्वारा आयोजित छह सम्मेलनों में दिए गए उद्बोधनों के संकलन “नए आयाम” का भी विमोचन किया गया।
पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन
सम्मेलन के दौरान विधानसभा परिसर में संसद पुस्तकालय और राजस्थान विधानसभा पुस्तकालय की ओर से एक पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई जिसका उद्घाटन उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनकड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी और नेता प्रतिपक्ष श्री गुलाब चंद कटारिया ने किया। सभी अतिथिगण ने पुस्तकों का अवलोकन किया।