गफुर भट्टा में संभली के साथ महिलाओं में : विधिक जागरूकता के लिए षिविर आयोजित

विनय एक्सप्रेस समाचार, जैसलमेर। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देषानुसार आगामी अक्षय तृतीया एवं पीपल पूर्णिमा के अवसरों को ध्यान में रखते हुए बाल विवाह रोको अभियान के तहत जिला एवं सेशन न्यायाधीश पूरण कुमार शर्मा के निर्देषन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सुनील कुमार बिष्नोई की अध्यक्षता मेें गफुर भट्टा में विधिक जागरूकता षिविर आयोजित किया गया। कार्यक्रम में संभली ट्रस्ट के संस्थापक गोविंदसिंह राठोड़, जर्मनी से आई हुई स्वयं सेविका वेरोनिका, प्रोग्राम मैनेजर अरूणिमा सोनी, प्रोग्राम कॉर्डिनेटर मंजू कंवर के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में चलचित्र के माध्यम से बाल विवाह रोको विषयक लघु चलचित्र का प्रदर्षन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जैसलमेर सुनील कुमार बिष्नोई ने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार बाल विवाह संज्ञेय व गैर जमानती अपराध है। बाल विवाह करने वालों, करवाने वालों व शामिल होने वालों को दो साल की कैद व 01 लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है। बाल विवाह में लड़के व लड़की के अभिभावक/माता-पिता, पुजारी/मौलवी, दोनों तरफ के रिष्तेदार/परिचित, दूल्हा अगर उसकी उम्र 18 साल से अधिक हो, बैण्ड वाला, हलवाई, प्रिंटिंग प्रेस, नाई, फोटोग्राफर, टैन्ट वाला, घोड़ी वाला, बाराती, घराती अथवा वे सभी व्यक्ति जो विवाह में शामिल होते हैं, या सहयोग करते हैं, सजा के हकदार होंगे।

उन्होंने बाल विवाह के दुष्परिणाम गिनाते हुए कहा कि यह समाज एवं राष्ट्र की उन्नति में बाधा डालता है, इससे बेमेल विवाह होते है जिनकी परिणिति तलाक होती है। छोटी उम्र में बालिकाओं को वैधव्य का दंष झेलना पड़ता है और छोटी उम्र में मां बनना पड़ता है, जिससे उनकी षिक्षा, कार्यकुषलता, आत्मनिर्भरता, शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोरी एवं कमजोर पीढ़ी का जन्म होता है। इससे मात्र मृत्यु दर में बढ़त एवं वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ता है। इससे गर्भवात, अपरिपक्व प्रसव, कम भार के बच्चों का जन्म, व्यक्तित्व का विकास अवरूद्ध होना, विकास के अवसरों में रूकावट जैसे दुष्परिणाम सामने आते हैं।

दिनांक 13 मई को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि आमजन को बिना किसी फीस एवं वकील के अपने अधिक से अधिक राजीनाम योग्य प्रकरण राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से हल करवाये जा सकते हैं। लोक अदालत के माध्यम से निपटने वाले प्रकरणों में दोनों पक्ष राजीनामे की वजह से जीत में रहते हैं।

षिविर में प्राधिकरण की ओर से कानूनी जानकारियों से सम्बंधित विषयों के लीफलेट् वितरित किए गए। षिविर का समापन प्रोग्राम मैनेजर अरूणिमा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित कर किया गया।