‘आपणी भासा-आपणी ओळखाण समारोह का आगाज : राजभाषा एवं शिक्षा की भाषा शीघ्र बनें राजस्थानी भाषा

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर।  विश्व मातृभाषा दिवस पर गत वर्षों की भांति प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा मातृभाषा राजस्थानी को समर्पित दो दिवसीय ‘आपणी भासा-आपणी ओळखाण समारोह का आगाज आज प्रात: सृजन सदन परिसर में सैकड़ों बालक-बालिकाओं द्वारा अपनी मातृभाषा के समर्थन में संकल्प लिया एवं साथ ही एक संकल्प रैली भाषा मान्यता के पक्ष में लिखे गए स्लोगन की तख्तियां लेकर निकाली गई।
कार्यक्रम के प्रभारी संस्कृतिकर्मी हरिनारायण आचार्य ने प्रारम्भ में सभी को मातृभाषा के संदर्भ में संकल्प दिलाया। इस अवसर पर बतौर अतिथि बालक-बालिकाओं को अपनी मातृभाषा के महत्व को समझाते हुए वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि मातृभाषा हमारी पूजनीय मां के समान है और हर व्यक्ति मातृभाषा में ही अपनी अभिव्यक्ति को अच्छे ढंग से दे सकता है। हमें सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करते हुए अपनी मातृभाषा के प्रति सजग रहना चाहिए।
कार्यक्रम में अपनी सान्निध्य देते हुए युवा कवि गिरिराज पारीक ने कहा कि आज देश में लागू हुई नई शिक्षा नीति के तहत अब प्रदेश की राज्य सरकार को शीघ्र प्राथमिक शिक्षा का माध्यम प्रदेश की मातृभाषा राजस्थानी में प्रारम्भ करनी चाहिए।
संकल्प एवं मान्यता रैली की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविदï राजेश रंगा ने कहा कि मातृभाषा हमारी सांस्कृतिक पहचान है। साथ ही भाषा के माध्यम से ही व्यक्ति अपनी संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है। आज की नई पीढ़ी को भाषा के मामले में तीन स्तरों के बीच रहना होता है। एक तरफ नई पीढ़ी अपने परिवार में मातृभाषा, शिक्षा की भाषा हिन्दी एवं प्रतियोगी परीक्षा आदि के लिए अंग्रेजी का ज्ञान होना जरूरी है। ऐसी स्थिति में यदि राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता मिल जाए और प्रदेश की दूसरी राज भाषा बन जाए तो नई पीढ़ी इस भाषायी संकट से उभर सकती है।
इस अवसर पर कवि गंगाबिशन बिश्नोई, शिक्षा से जुड़े भवानी सिंह, सीमा पालीवाल, प्रीति राजपूत, किशोर जोशी, ममता व्यास, विनय ओझा, सुनील व्यास, नवनीत व्यास आदि ने भी १२ करोड़ लोगों की मातृभाषा राजस्थानी को केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर शीघ्र मान्यता प्रदान करें। संकल्प एवं रैली का सफल संचालन आशीष रंगा ने किया।