नकली (रील) हीरो सिर्फ फिल्मों का हिस्सा, रियल क्यों बनाते हैं ?

अनिल सक्सेना : वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार

विनय एक्सप्रेस आलेख, अनिल सक्सेना।आजकल आमिर खान की एक फिल्म को लेकर लगातार ट्रोल हो रहा है और फिल्म को नही देखने की बात कर रहे है । सवाल यह है कि क्या यह फिल्मी लोग ही अपनी मूवी को हिट करने के लिए विवादों को जन्म देते हैं।

हमें कुछ फिल्मी कलाकारों का काम अच्छा लगता है और इनके अच्छे अभिनय की तारीफ भी होनी चाहिए लेकिन यह ध्यान रखने वाली बात है कि यह एक रील हीरो है, असली नही । यह फिल्मों में सिर्फ अभिनय कर रहे है। सच तो यह है कि आजकल बाॅलीवुड से अच्छी और मैसेज देने वाली फिल्में दक्षिण की होती हैं।

क्यों यह बार-बार ट्रोल होते हैं ? हम आज बयानवीर नकली (रील) हीरो की बात करेंगे जो हमारे देश को लेकर बयान देने में गर्व महसूस करते हैं। अभिव्यक्ति की आजादी हमारे देश में सभी को है लेकिन जहां हमारे हिंदुस्तान की बात हो, उस बात पर हमारा गंभीर होना जरूरी है।

एक जमाना था जब यूसुफ खान ने दिलीप कुमार , मुमताज जहां ने मधुबाला, हामिद अली खान ने अजीत, बदरूद्दीन जमालुद्दीन काजी ने जाॅनी वाॅकर, महजबीन बानों ने मीना कुमारी, सैयद इश्तिाक अहमद जाफरी ने जगदीप बनकर अभिनय किया और हिंदुस्तान में अभिनय की तारीफ बटोरी।

ऐसा नही है कि मुस्लिम अभिनेता ने ही अपना नाम बदला हो। दुसरे समूदाय के लोगों ने भी नाम बदला लेकिन अपने ही धर्म के प्रचलित नाम रखे और अभिनय के दम पर बुलंदियां हासिल की । हिंदुस्तान ने कभी भी इन रील हीरो के सम्प्रदाय या धर्म के नाम पर भेदभाव नही किया । ओम पुरी, अनुपम खेर के साथ ही नसरूद्दीन शाह के अभिनय का तो मैं भी कायल रहा ।

आप अच्छा अभिनय कीजिए, हिंदुस्तान की तारीफ बटोरिये लेकिन हिंदुस्तान और उसकी संस्कृति पर सवालिया निशान लगाने का हक ना तो हम किसी अभिनेता को देंगे और ना ही किसी फिल्म बनाने वाले को। यह ध्यान रखिए कि आप भी हिंदुस्तानी ही हो ।

कुछ समय पहले एक समारोह में आमिर खान ने कहा था कि देश में पिछले कुछ महीनों से असहिष्णुता का माहौल बना हुआ , उनकी पत्नी किरण काफी डरी हुई है और बच्चों के साथ देश छोड़ना चाहती है। आमिर की बातों में कितना दम था लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होने अपनी पत्नी किरण को ही छोड़ दिया । 2014 में रिलीज हुई फिल्म ‘पीके‘ में हिंदू धर्म का मखौल उड़ाया गया । आश्चर्य इस बात का है कि इस फिल्म के निर्माता राजकुमार हिरानी और विधु विनोद चोपड़ा थे । अब लालसिंह चड्ढा फिल्म को लेकर विवाद जारी है।

शाहरूख खान ने अपने 50वें जन्मदिन पर कहा था कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है। शाहरूख ने एक विदेशी मैगजीन को दिए एक साक्षात्कार में यह भी कहा कि उन्हे मुसलमान होने के नाते शक की नजरों से देखा जाता है। उन्होने आगे कहा कि ऐसा कई बार हुआ कि मुझ पर आरोप लगाए गए मैं अपने देश की बजाए पड़ोसी देश के साथ वफादारी रखता हूं । ऐसा शाहरूख ने क्यों कहा आज तक किसी हिंदुस्तानी को समझ नही आया । लेकिन इस बयान पर पाकिस्तान में हलचल जरूर नजर आई।

साल 1993 में मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी के बाद सलमान ने ट्वीट कर याकूब का समर्थन किया था और कहा कि एक बेगुनाह की मौत इंसानियत का कत्ल है हालांकि बाद में अपने पिता के कहने पर उन्होने वे ट्वीटस हटा दिए ।

अच्छे अभिनेता नसीरूद्दीन का विवादों से पुराना नाता है । कभी तो वे मुगलों के काल को अच्छा बताते हैं तो कभी कहते हैं कि मुझे आज के भारत से डर लगता है। गीतकार जावेद अख्तर के बयान तो उनके काम से भी ज्यादा सुर्खियों में रहते है।

इनके अतिरिक्त कुछ को छोड़ दिया जाए तो दूसरे भी कई अभिनेताओं के विवादित बयान है लेकिन देश को लेकर नही है। सच तो यह है कि विवाद होने के बाद माफी का कोई औचित्य नही रह जाता है।

विवादित बयान देने वाले नकली हीरो से हमारा आग्रह है कि आप अपने काम पर ध्यान दीजिए जिसके दम पर आपको लोग जान रहे हैं, पहचान रहे हैं। अभिव्यक्ति आपका अधिकार है लेकिन आप हिंदुस्तान के लिए बेसिर-पैर की बात कर पड़ोसी देश में सुर्खियां बटोरने का काम मत कीजिए । यह मत भूलिए कि यह हिंदुस्तान ही है जिसने आपको नाम और शोहरत दी है।

क्या कभी अभिनय के सरताज दिलीप कुमार (यूसुफ खान) और उनके जैसे दूसरे अभिनेता ने अपने जीवन में कभी हिंदुस्तान को लेकर कोई विवादित बयान दिया ।

कुछ गलतियां हमारी भी है । हम इन नकली हीरो को रियल समझ लेते हैं और सिर माथे पर चढ़ा लेते हैं। बंद कीजिए इन लोगों के पीछे भागना , अच्छे अभिनय की तारीफ जरूर हो लेकिन फिल्म देखकर रियल हीरो मानने की गलती नही हो। रील लाइफ हीरो से रियल लाइफ हीरो बने, वो ही तारीफ के काबिल है बाकी तो रील मतलब नकली ही है।