यादवेंद्र शर्मा ‘चन्द्र ‘ ने भारतीय साहित्य संसार में कीर्तिमान स्थापित किया – डॉ. अग्रवाल

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। कथापुरुष यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ की 89वीं जयंती पर उनके व्यक्तित्व और कृतित्त्व पर अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज की ओर से ऑनलाइन कार्यक्रम किया जिस में डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, फारूक आफरीदी, बुलाकी शर्मा, सत्यदेव सवितेंद्र, राजेंद्र जोशी और डॉ. नीरज दइया ने अपने अनुभवों और विचारों को साझा किया।

            जयपुर के वरिष्ठ आलोचक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने  कहा कि चन्द्रजी का पाठक वर्ग बहुत विशाल है जो पूरे देश में फैला हुआ है। वे  जन जन के प्रिय लेखक थे और आज भी हैं। उन्होंने कहा कि चंद्रजी के कथा साहित्य पर आलोचना द्वारा चाहे अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया हो लेकिन यह  सच्चाई है कि अपने विपुल और प्रभावी सृजन के बल पर उन्होंने राजस्थान ही नहीं अपितु भारतीय साहित्य संसार में  कीर्तिमान बना कर राजस्थान को गौरवान्वित किया।

जयपुर के वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने विश्व स्तरीय लेखकों से चन्द्रजी की तुलना करते हुए उन्हें  हिंदी का रस्किन बांड बताते हुए कहा कि वे आजीवन फ्रीलांसर रहे। उन जैसे लेखकों पीढ़ी ही अब समाप्त प्रायः हो गई है।  केवल लेखन के बल पर स्वाभिमान से जीवनयापन करना हरेक के बस में नहीं होता जबकि उन्होंने बिना किसी तरह का समझौता किये वे सिर्फ और सिर्फ लेखन के प्रति पूरी प्रतिबद्धता से समर्पित रहे।

वरिष्ठ व्यंग्यकार – कहानीकार बुलाकी शर्मा  ने अनेक आत्मीय प्रसंग साझा करते हुए चन्द्र जी को अद्वितीय लेखक बताते हुए कहा कि उनके लिए लेखन ही जीवन था। अंतिम सांस तक वे सृजनरत रहे। उन्होंने कहा कि चन्द्र जी ने 200 से अधिक कृतियों का प्रणयन किया जिनमें सौ के लगभग औपन्यासिक कृतियों का होना उन्हें विलक्षण कथापुरुष प्रामाणिक करता है।

जोधपुर से चर्चा में शामिल हुए वरिष्ठ कवि-गीतकार सत्यदेव सवितेंद्र ने कहा कि चंद्रजी का व्यक्तित्व बहुत ही प्रेरणास्पद रहा। वे दम्भमुक्त सरल – सहज थे और युवा पीढी को हमेशा प्रेरित और प्रोत्साहित करते थे।  उन्होंने कहा कि चन्द्रजी से उन्हें सीखने को भी मिला। उन्होंने कहा कि चंद्र जी स्वयं और उनका राजस्थानी-हिंदी साहित्य भी अविस्मरणीय है। कवि-कहानीकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि  शहर बीकानेर अपने प्रिय लेखक चन्द्रजी की अनेक पावन स्मृतियां अपने मन से संजोये हुए है। उनकी स्मृति में नगर निगम ने मार्ग का नामकरण किया वहीं नगर विकास न्यास ने उनके नाम से  कॉलोनी बनाई है। उन्होंने कहा कि  उनके अनेक अविस्मरणीय पात्रों की छवियां भी शहर को याद है। कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ के संपूर्ण साहित्य में राजस्थान बोलता है, वे जब हिंदी में लिखते हैं तब भी उनके पात्र राजस्थानी में बोलते हैं और यहां का सजीव अलिखित इतिहास उनकी रचनाएं बताती रहेंगी।

          अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज द्वारा कथापुरुष यादवेंद्र शर्मा ‘चंद्र’ की जयंती पर हुए सजीव प्रसारण में साहित्यकार मीठेश निर्मोही, डॉ. रेणुका व्यास, डॉ. मदन गोपाल लढ़ा, डॉ. सुखदेव राव, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, राजेश दीक्षित, राजेंद्र सारस्वत, शिवचरण शिवा, विजय कुमार बिस्सा, कृष्ण कुमार बिस्सा,  रेखा बिस्सा, कामना राजावत, कुणाल बिस्सा,  श्यामा शर्मा, सुरेंद्र स्वामी, प्रशांत जैन, सुनीता बिश्नोई, मंजू कुमारी,  नंदलाल दैया, जगदीश प्रसाद सोनी समेत सौ से अधिक लेखकों ने विचार साझा किए और अनेक राजस्थानी प्रेमियों ने हिस्सा लिया।