विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। हिन्दी हमारी राष्ट्रीय अस्मिता की प्रतीक है यह जन-जन के हार्दिक-भावभूमि की वह उर्वरा-शक्ति है जिनसे वैश्विक भाषायी-संस्कृति को पोषण व रचानात्मक दिशा मिलती है।’’ उक्त उद्गार महाविद्यालय प्राचार्या डॉ चित्रा पंचारिया ने हिन्दी-दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित परिचर्चा के अध्यक्षीय वक्तव्य के रूप में कहे। ड़ॉ पंचारिया ने कहा कि ‘वर्तमान परिदृश्य में हिन्दी का सामर्थ्य विस्तार तीव्र गति से हुआ है सूचना क्रांति ने इसमें महती भूमिका का निर्वाह किया है।’
महाविद्यालय हिन्दी व्याख्याता डॉ धनश्याम व्यास ने सभी को हिन्दी भाषा में निरन्तर समर्थ बनने का आह्वान किया और कहा कि ,‘ मातृभाषा और वैश्विक सम्पर्क भाषाओं के बीच की सम्पर्क-सेतु के रूप में हिन्दी भाषा से बढकर हम भारतीयों के लिए कोई अन्य सुगम-सुबोध भाषा नहीं है।
इसी क्रम में आयोजित परिचर्चा के दौरान उपस्थित, महाविद्यालय विज्ञान वाणिज्य व कला संकाय के अन्य प्रवक्तागणों ने भी अपने-अपने वक्तव्य के दौरान हिन्दी भाषा के स्वरूप,सामर्थ्य,विस्तार सहित उनके समक्ष आई चुनौतियों को रखते हुए उनके समाधान के बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में गीत, कविताएँ तथा अन्य प्रेरक अनुभवों को मंच के माध्यम से साझा किया गया।