जाने गोपाष्टमी का महत्व और पूजन विधि पण्डित नितेश व्यास के साथ

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। कार्तिक शुक्ला अष्टमी को गोपाष्टमी आती है। महात्म्य -गो के अंग में तेंतीस करोड़ देवताओं का निवास है तेंतीस करोड़ देवताओं की पूजा करने का जो फल है , वह गोपाष्टमी के दिन एक गो के पूजन से होता है।
पूजा सामान
गाय और बछड़ा , जल का लोटा साड़ी, ब्लाउज पीस, या शर्ट पीस, मोली, हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प, पुष्पहार, पान, सुपारी, रुपया, दीपक, बत्ती, घी, माचिस, अगरबत्ती, कपूर
अन्नकूट की मिठाई या मंदिर का प्रसाद गुड़ की लापसी, जलेबी, मोदक, आटे में गुड़ मिलाकर पिंडे , एकसीधा।
पूजा विधि
भागवत अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण गो चराने गए थे। गोपियां भगवान के लौटने की बाट देखती अपने अपने घरों के द्वार पर खड़ी थी। सायकल में भगवान गो चरा के लोटे तब उन्होंने गो ओर भगवान कि पूजा करके आरती की फिर भोजन किया , इसलिए इस दिन शायमकाल में गो चर कर लौटे तब गो की पूजा करके भोजन करने का विधान है । गाय की पूजा प्रातः काल मे या शायमकाल म् गो चर कर लौटे तब स्त्री पुरुष बालक सब मिलकर करे।पूजा सामग्री से विधिवत पूजन करे 4 परिक्रमा करे अगर पूजा विधि न ज्ञात हो तो योग्य ब्राह्मण से कर्म करवाये।
गाय को स्पर्श का मन्त्र
सर्व देव मयी देवी मुनि भिस्तु सुपूजिता।
तस्मात स्पर्शयामी वन्दे त्वाम वन्दिता पापहा भव।।
ग्वाले को तिलक कर भेंट देवे गाय चरने जाए तब 5 7 पग उनके पीछे चलना।
गाय को अपने हाथ से कुछ भी खिलाने से व्याधा कटती है।
फल : गो की पूजा से सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है और मनुष्य कभी दुर्गति को प्राप्त नही होता।। गाय की चरण रज सिर पर धारण से सौभाग्य की व्रद्धि होती है। जहां गाय होती है वहा पर किया जप तप कर्म अनन्त कोटि का फल देता है। जहां गाय होती है वहा वास्तु दोष स्वत् समाप्त हो जाते है।।
उजरणा:8 ब्राह्मणों को भोजन और भेंट देना।


पण्डित नितेश व्यास (ऐस्ट्रो भा) भागवत, नानी बाई मायरा वाचक, रमल वैदिक ज्योतिषी
अधिष्ठाता: महागणपति साधना पीठ
अध्यक्ष: ज्योतिष ग्लोबल पुंज
महासचिव: विश्व सनातन वाहिनी
सम्पर्क 8209103740