विनय एक्सप्रेस समाचार, जैसलमेर।’’दस-बारह साल से कान जवाव दे गए थे, और इस वजह से न घर वालों की सुन पाता था, और न ही बाहर वालों की, जमाने की हलचलों को न सुन पाने का मलाल अर्से से सता रहा था। यह तो भला हो सरकार का कि जिसने प्रशासन गांवों की ओर अभियान चलाया और अभियान की बदौलत अब वह सब कुछ सुनने लगा है। इससे उसे अब जीने का पूरा-पूरा सुकून मिल रहा है। भगवान भला करे उन सबका जिन्होंने हम जैसों के लिए यह अभियान चलाया है।’’
यह कहना है कि 76 वर्षीय एक ऎसे ग्रामीण का, जिसे कानों से सुनाई देना बन्द हो गया था लेकिन प्रशासन गांवों के संग अभियान की उसकी फरियाद सुनने के चन्द मिनटों बाद ही हाथों हाथ सारी कार्यवाही पूरी कर उसे श्रवण यंत्र प्रदान किया गया। अब वह सुनने लगा है।जैसलमेर जिले की अमरसागर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर प्रशासन गांवों के संग अभियान के अन्तर्गत लगे शिविर में अनुसूचित जनजाति का 76 वर्षीय बुजुर्ग लूणाराम भील आया और उसने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री नारायणसिंह चारण के पास जाकर बताया कि सरकार की ओर से उसे 750 रुपए पेंशन तो मिल रही है किन्तु उसे कानों से सुनाई नहीं देता है। इसका कुछ हो सकता है क्या।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने उसे सामाजिक सुरक्षा अधिकारी श्री हेमाराम जरमल के पास भेजा और समस्या का निवारण करने के निर्देश दिए। इस पर संयुक्त सहायता अनुदान योजना अन्तर्गत विशेष योग्यजन के तहत उसका फार्म भरवाया और मेडिकल अधिकारी से हस्ताक्षर सहित प्रमाणित करवा कर हाथों हाथ श्रवण यंत्र प्रदान किया गया।
शिविर अवलोकन के लिए आए विधायक श्री रूपाराम, प्रभारी सचिव डॉ. के.के. पाठक एवं जिला कलक्टर आशीष मोदी ने श्री लूणाराम को श्रवण यंत्र पहनाया। श्रवण यंत्र पहनने के बाद सुनने की शक्ति लौटने पर श्री लूणाराम अत्यन्त भावविभोर हो उठा और सभी अतिथियों के प्रति दिली आभार जताने के बाद खुद भी भाषण सुनने पाण्डाल में बैठ गया।
साथ में आयी उसकी पोती मनीषा की आवाज भी उसने पहली बार सुनी और खुशी के मारे झूमने लगा। इसके बाद श्री लूणाराम कृतज्ञ भाव से सभी के प्रति आभार जताते हुए खुशी-खुशी घर लौटा। घर जाने के बाद कानों की शक्ति लौट आने की खुशी में पूरा परिवार उल्लास से भर उठा।