विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। कोरोना की इस विषम परिस्थिति के बाद वर्तमान समय में जिला मुख्यालय स्थित एमटीसी वार्ड से शायद ही कोई नागरिक अपरिचित होगा। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी की अभिनव पहल अभियान लाडेसर के बाद शहर ही नहीं, ग्रामीण नागरिकों को भी इस वार्ड का महत्व समझ में आने लगा है। अतिकुपोषित बच्चों के प्रति इस कारण जहां जागरूकता बढ़ी है, वहीं एमटीसी वार्ड में भी अतिकुपोषित बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आमजन में भी इस वार्ड के प्रति जागरूकता बढ़ी है, वहीं इस वार्ड के निमित्त सहयोग करने वाले भामाशाह भी आगे आने लगे हैं। जेएलएन राजकीय अस्पताल में एमटीसी अतिकुपोषित चाइल्ड केयर वार्ड में वर्तमान में 10 बेड राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत है। जिसमें अतिकुपोषित बच्चों को जहां मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाता है, वहीं उनको आवश्यक पोषण सामग्री भी दी जाती है। जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हो सके तथा उनका कुपोषण दूर किया जा सके। इस वार्ड में अतिकुपोषित बच्चों के साथ उनके माता-पिता व अभिभावकों के रहने की भी व्यवस्था की गई है।
जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के सुथार ने बताया कि राजस्थान के टॉप 5 जिला राजकीय अस्पतालों में नागौर का भी स्थान है। जहां एमटीसी वार्ड में अतिकुपोषित बच्चों का उपचार होता है। इसमें अतिकुपोषित बच्चों का 10 से 15 दिन तक इलाज किया जाता है जहां उनके वजन, लंबाई, भुजा, हीमोग्लोबिन आदि के मापदंड के आधार पर चयन किया जाता है। इन्हें डिस्चार्ज करने के बाद 15 दिन के अंतराल में उनका फॉलोअप भी लिया जाता है।
दी जाती है पोषक सामग्री
इस वार्ड में भर्ती अतिकुपोषित बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जाता है, ताकि उनके हीमोग्लोबिन में अतिशीघ्र वृद्धि हो सके तथा कुपोषण से निजात पाई जा सके। इसी प्रकार निर्धारित मापदंड के अनुसार सोमवार को अतिकुपोषित बच्चों को हलवा, मंगलवार को दलिया, बुधवार को फल, गुरुवार को लापसी, शुक्रवार को अन्य खाद्य सामग्री तथा शनिवार को फल व रविवार को खिचड़ी दी जाती है