बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में वीमेन हैरेसमेंट पर एक दिवस की कार्यशाला

महिला सशक्तिकरण में विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका : कुलपति प्रोफेसर विद्यार्थी

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय में वीमेन हैरेसमेंट जैसे संवेदनशील विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन रखा गया। जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सभी विश्वविद्यालयों को महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जागरूकता के साथ कार्य करने हेतु निर्देशित किया गया है।

कार्यशाला को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो.अम्बरीश शरण विद्यार्थी ने कहा कि आज के समय में महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसमें हम सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा हेतु पर्याप्त विधिक प्रावधान किए गए हैं। महिला को जागरूकता के साथ इनका प्रयोग करते हुए अपने अधिकारों की रक्षा हेतु उपयोग करना चाहिए। विभिन्न नियम,अधिनियम, एडवाजरी, दिशा-निर्देश के माध्यम से ऐसे बहुत से अन्य प्रावधान निहित है,जो यह यह सुनिश्चित करता है कि इन प्रावधानों का पालन करने के लिये नियोक्ताओं पर एक सांविधिक दायित्व अनिवार्य हैं।

शिक्षण संस्थानों में विमन हैरेसमेंट सेल की स्थापना का महत्व बताते हुए प्रो. विद्यार्थी ने कहा कि समय समय पर ऐसी संगोष्ठिया कार्य स्थल पर महिलाओं को शशक्त और पुरषों के साथ कदम से कदम मिलाकर एक साथ कम करने में विश्वास बढ़ाती है।ओएसडी डॉ धर्मेंद्र यादव ने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे से निपटने के लिए निरंतर व ठोस प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने जागरूकता कार्यक्रमों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर गंभीर विचार -विमर्श को प्रेरित करते हैं।

परिसंवाद की शुरुवात डॉ. प्रीति पारीक ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार और उन्हें जो समाज से प्रताड़ना जलनी पडती है उस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कई असल जिंदगी के घटनाक्रम के उदाहरण के साथ समझाया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को चाहिए कि वो कार्यस्थल पर अपने साथ होने वाले किसी भी तरह के उत्पीड़न के खिलाफ चुप्पी तोड़कर उसका प्रतिकार करेंलें। प्रतिकूल परिस्थिति में पुलिस और कानून का सहारा लें।

डॉ.शिखा ने लड़के और लड़की के बीच के अंतर को बताया और यह भी बताया कि लडको को लड़कियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए,उन्होंने बताया कि महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए पितृसतात्मक मानसिकता में बदलाव जरूरी है। महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल व वातावरण सुनिश्चित करने की अनिवार्यता पर जोर दिया। यह कार्यस्थल पर महिलाओं की भागीदारी को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। अगर वातावरण अच्छा होगा तो महिलाएं घर से बाहर कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस करेंगी। कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए डॉ. ममता पारीक ने कहा कि आज कामकाजी महिलाए प्रतिदिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएं जीते हुए अपने दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन करती है। महिलायें किसी भी समाज का स्तम्भ हैं। हमारे आस-पास महिलायें ,सहृदय बेटियाँ , संवेदनशील माताएँ, सक्षम सहयोगी और अन्य कई भूमिकाओं को बड़ी कुशलता व सौम्यता से निभा रही हैं। लेकिन आज भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजरअंदाज करता है। इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर असमानता, उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और अन्य सामाजिक बुराइयों का खामियाजा भुगतना पड़ता है। सदियों से ये बंधन महिलाओं को पेशेवर व व्यक्तिगत ऊंचाइयों को प्राप्त करने से अवरुद्ध करते रहे हैं। उन्होंने महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के सुझाव दिए।

इस अवसर पर आयोजित कार्यशाला में विभिन्न महिला कर्मचारियों एवं महिला विद्यार्थियों ने महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विचार विमर्श का मंथन किया। कार्यक्रम में छात्र छात्राओं के अलावा डॉ धर्मेंद्र यादव, डॉ. राधा माथुर, डॉ. रूमा भारद्वाज, डॉ. हेमहुजा, डॉ. अलका स्वामी, महिला कर्मचारी श्रीमती उषा, श्रीमती सुप्यार और श्रीमती मधुबाला भी उपस्थित थी। अंत में डॉ. गायत्री शर्मा सदस्य सचिव, वीमेन हरस्मेंट कमेटी ने सभी का आभार व्यक्त किया।