विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। प्रतिवर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें आदिवासियों की कठिनाइयों और समस्याओं के समाधान के लिए चिन्तन और मनन करने का अवसर प्रदान करता है। प्रदेश की जनसंख्या का एक बड़ा भाग जनजाति वर्ग का है। राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक जनजाति के लोग निवास करते हैं। राज्य के गौरवपूर्ण इतिहास में जनजाति समुदाय का उल्लेखनीय योगदान रहा है। इस क्षेत्र के महापुरुषों जैसे- गोविन्द गुरु, राणा पूंजा, वीरबाला कालीबाई, शहीद नानाभाई खांट आदि के त्याग एवं शौर्य को आज भी याद किया जाता है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार जनजाति समुदाय के समग्र विकास हेतु कटिबद्ध है तथा इस समुदाय के उत्थान हेतु कई कदम उठाए हैं। वर्तमान राज्य सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस के महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। वर्ष 2023-24 के बजट में 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान जनजाति विकास कोष हेतु किया गया है। जनजाति क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई एवं रोजगार हेतु विभिन्न योजनाओं से संचालन से इस क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण हुआ है तथा जनजाति समुदाय की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में निरन्तर सुधार हो रहा है।
वर्तमान सरकार की अनुसूचित जनजाति से सम्बन्धित महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ
– अनुसूचित जनजाति विकास कोष की राशि 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये की गई।
– 10 हजार 981 बीपीएल आदिवासी परिवारों को नि:शुल्क भू-खण्ड आवंटित।
– अनुसूचित जनजाति उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को 1297 करोड़ रुपये की राशि दी गई।
– 100 करोड़ की राशि से बेणेश्वर धाम का विकास तथा 132.35 करोड़ रुपये की लागत से बेणेश्वर धाम में डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिले को जोड़ने वाली नदी पर पुल का निर्माण कार्य प्रगतिरत।
– 12 नये छात्रावास एवं 14 नवीन आवासीय स्कूलों का निर्माण
– मारवाड़ जनजाति विकास बोर्ड का गठन।
– राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास निधि विधेयक-2022 पारित।
– अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के अंतर्गत 48,524 व्यक्तिगत वनाधिकार दावे एवं 602 सामुदायिक वनाधिकार दावे स्वीकृत कर वन अधिकार पत्र जारी।
– सामुदायिक वनाधिकार विकास योजना लागू।
– जनजाति क्षेत्रों में अधिकाधिक सामुदायिक वन अधिकार पट्टे उपलब्ध कराने के लिए 1 मार्च से 30 जून, 2023 तक विशेष अभियान चलाया गया।
– वर्ष 2023-24 में वनाधिकार तथा पेसा अधिनियम के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों को सशक्त करने की घोषणा।
– एससी-एसटी अत्याचार निवारण के लिए 6 विशिष्ट न्यायालयों की स्थापना।
– 1.18 लाख सहरिया, 9066 खैरवा एवं 3253 कथौड़ी जाति के लोगों को प्रतिमाह प्रति यूनिट निःशुल्क 500 ग्राम दाल, 500 मि.ली. तेल व 250 मि.ली. देशी घी।
– 1.04 लाख जनजाति छात्राओं को उच्च शिक्षा संस्थानों में अध्ययन करने पर 52 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता।
– 97,022 जनजाति छात्राओं को कक्षा 11 व 12 में अध्ययन करने पर राशि 33.96 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता।
– 51,518 जनजाति छात्रों को छात्र गृह किराया से लाभान्वित किया गया।
– 250 नवीन मां-बाड़ी केन्द्र प्रारम्भ। वर्ष 2023-24 में 250 माँ-बाड़ी केन्द्र खोले जाने प्रस्तावित। माँ-बाड़ी कर्मियों के मानदेय में 15 प्रतिशत की वृद्धि।
– विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त, 2021 पर “जनजाति भागीदारी योजना” प्रारम्भ। अब तक 41.41 करोड रूपये की लागत से 347 कार्य प्रारम्भ।