क्या है डेंगू बुखार, बच्चों एवं वयस्क रोगीयों को किस प्रकार रखनी चाहिए सवाधानियां ? पढ़िए डॉ राहुल व्यास का यह आलेख

विनय एक्सप्रेस स्वास्थ्य आलेख । वर्तमान में लगातार डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए विनय एक्सप्रेस की स्वास्थ्य टीम ने अपने पाठकों के लिए डेंगू बुखार के प्रति जागरूकता बरतने और बुखार होने पर सावधानि बरतने उद्देश्य से चिकित्सा अधिकारी एवं युवा डॉ राहुल व्यास के सहयोग से हैल्थ आर्टिकल प्रकाशित कर रही है ताकि पाठकों को डेंगू बुखार के बारे में वो सारी जानकारी प्राप्त हो सकें जिससे डेंगू बुखार से पूर्व जागरूक होकर अपना बचाव कर सकें और डेंगू बुखार से पीडीत रोगीयों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए इस संबंध में जानकारी प्रदान कर सकें, छोटे बच्चों पर भी डेंगू बुखार का क्या असर पड़ता है और किस प्रकार सावधानी बरतनी चाहिए इस विषय में भी डॉ. राहूल व्यास सरह एवं सहज भाषा में आम नागरिकों के लिए लिखा आलेख प्रस्तुत है : :

क्या है बुखार

जब हमारे शरीर पर कोई बैक्टिरिया या वायरस हमला करता है तो हमारा शरीर अपने आप ही उसे मारने की कोशिश करता है। इसी मकसद से शरीर जब अपना टेम्प्रेचर बढ़ाता है तो उसे ही बुखार कहा जाता है। जब भी शरीर का टेम्प्रेचर नॉर्मल (98.3) से बढ़ जाए तो वह बुखार माना जाएगा। आमतौर पर छोटे बच्चों को बुखार होने पर उनके हाथ-पांव तो ठंडे रहते हैं लेकिन माथा और पेट गर्म रहते हैं इसलिए उनके पेट से उनका बुखार चेक किया जाता है। क·ई बार बुखार 104-105 डिग्री फॉरनहाइट त·क भी पहुंच जाता है।

कहीं यह बुखार डेंगू तो नहीं:-

• डेंगू वाले मच्छर के किसी इंसान को काटने के बाद डेंगू का वायरस इंसान के ब्लड में 2-7 दिनों तक रहता है।
• डेंगू बुखार के लक्षण मच्छर के काटने के 4-7 दिनों में दिखते हैं। कभी-कभी इसमें 14 दिनों का वक्त भी लगता है।
• बुखार अक्सर तेज होता है और दिन में 4-5 बार आता है।
• डेंगू बुखार तकरीबन 7-10 दिनों तक बना रहता है और अपने आप ठीक हो जाता है। बुखार से प्रभावित कुल लोगों में से 10 फीसदी को ही हॉस्पिटल ले जाने की जरूरत होती है।

 डेंगू के सामान्य लक्षण हैं:


बुखार, तेज़ बदन दर्द, सिर दर्द खास तौर पर आंखों के पीछे, शरीर पर दाने आदि।
• डेंगू ऐसा भी हो सकता है कि इसके लक्षण न उभरें। ऐसे मरीज़ का टेस्ट करने पर डेंगू पॉजिटिव आता है लेकिन वह खुद-ब-खुद बिना किसी इलाज़ के ठीक हो जाता है।
• दूसरी तरह का डेंगू बीमारी के लक्षणों वाला होता है।
यह भी तीन किस्म का होता है: 1)क्लासिकल डेंगू फीवर,
2) डेंगू हेमरेजिक फीवर और
3)डेंगू शॉक सिंड्रोम।

1) क्लासिकल डेंगू फीवर एक नॉर्मल वायरल फीवर है। इसमें तेज बुखार, बदन दर्द, तेज सिर दर्द, शरीर पर दाने जैसे लक्षण दिखते हैं। यह डेंगू 5-7 दिन के सामान्य इलाज से ठीक हो जाता है।
2)डेंगू हेमरेजिक फीवर थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता है। इसमें प्लेटलेट और W.B.C. की संख्या कम होने लगती है। नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उलटी में खून आना या स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के चकत्ते जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।

3)डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है, उसका बीपी और नब्ज एकदम कम हो जाती है और तेज बुखार के बावजूद स्किन ठंडी लगती है।

ताकि पैदा न हों मच्छर:-

• डेंगू के बचाव के लिए मच्छरों को पैदा होने से रोकना और काटने से रोकना, दोनों जरूरी हैं:
• कहीं भी खुले में पानी रुकने या जमा न होने दें। साफ पानी भी गंदे पानी जितना ही खतरनाक है। पानी पूरी तरह ढककर रखें। कूलर, बाथरूम, किचन आदि में जहां पानी रुका रहता है में दिन में एक बार मिट्टी का तेल डाल दें। ऐसा करने से उनमें मच्छरों के अंडे डिवेलप नही होंगे।
• एसी: अगर विंडो एसी के बाहर वाले हिस्से के नीचे पानी टपकने से रोकने के लिए ट्रे लगी हुई है तो उसे रोज खाली करना न भूलें। उसमें भी ब्लीचिंग पाउडर डाल कर रख सकते हैं।

• कूलर: इसका इस्तेमाल बंद कर दें। अगर नहीं कर सकते तो उसका पानी रोज बदलें और उसमें ब्लीचिंग पाउडर या बोरिक एसिड जरूर डालें।
• गमले: ये चाहे घर के भीतर हों या बाहर, इनमें पानी जमा न होने दें। गमलों के नीचे रखी ट्रे भी रोज खाली करना न भूलें।
• छत: छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें या उलटा करके रखें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करके साफ करने के बाद पानी भरें।
• किचन, बाथरूम: सिंक/वॉशबेसिन में भी पानी जमा न होने दें। हफ्ते में एक बार अच्छी तरह से सफाई करें। पानी स्टोर करने के बाद बर्तन पूरी तरह ढक कर रखें। बेहतर तो यह है कि गीले कपड़े से ऐसे बर्तनों को ढकें ताकि मच्छर को जगह न मिले। नहाने के बाद बाथरुम को वाइपर और पंखे की मदद से सुखा दें।
• ड्रॉइंगरूम: घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवाई का छिड़काव जरूर करें। डाइनिंग टेबल में सजाने के लिए रखे फूलों या फूलों के बर्तन में पानी रोज बदलें

ताकि न काटें मच्छर..

• आउटडोर में पूरी बांह की शर्ट, बूट, मोजे और फुल पैंट पहनें। खासकर बच्चों के लिए इस बात का जरूर ध्यान रखें।

• तेज महक वाली परफ्यूम लगाने से बचें क्योंकि मच्छर किसी भी तरह की तेज महक की तरफ आकर्षित होते हैं।

• कमरे में मच्छर भगानेवाले स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि का प्रयोग करें। मस्किटो रेपलेंट को जलाते समय सावधानी बरतें। इन्हें जलाकर कमरे को 1-2 घंटे के लिए बंद कर दें। सोने से पहले खिड़की-दरवाजे खोल लें। खिड़की, दरवाजे बंद रखेंगे तो सांस की बीमारी हो सकती है।
• घर की मेन एंट्रेंस के बाहर लगी ट्यूब लाइट के पास मस्किटो रेपलेंट (गुडनाइट, ऑलआउट आदि) जलाकर रखें। इससे गेट खुलने पर अंदर आनेवाले मच्छरों को रोका जा सकेगा। आजकल इसे 24 घंटे जलाकर रखें ताकि मच्छर को जगह न मिले।
• सोने से पहले हाथ-पैर और शरीर के खुले हिस्सों पर विक्स लगाएं। इससे मच्छर पास नहीं आएंगे।
• मच्छरों को भगाने और मारने के लिए गुग्गुल जलाएं।
• लैवेंडर ऑयल की 15-20 बूंदें, 3-4 चम्मच वनीला एसेंस और चौथाई कप नीबू रस को मिलाकर एक बोतल में रखें। शरीर के खुले हिस्सों पर लगाने से पहले अच्छी तरह मिलाएं। इसे लगाने से मच्छर दूर रहते हैं।

बढ़ाएं इम्युनिटी:-


• इम्युनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की शरीर की क्षमता अच्छी हो तो कोई भी बीमारी आपको आसानी से दबोच नहीं पाती। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बैलेंस्ड डाइट लें। मौसमी फल, हरी सब्जियां, दाल, दूध-दही आदि खूब लें। हालांकि इम्युनिटी एक-दो दिन में नहीं बढ़ती। इसके लिए लंबे समय तक रुटीन का ध्यान रखना पड़ता है।
• खाने में हल्दी का इस्तेमाल करें। सुबह-शाम आधा-आधा छोटा चम्मच हल्दी पानी या दूध के साथ लें।
• तुलसी के 8-10 पत्ते शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को आधे गिलास पानी में उबालें। पानी आधा रह जाए तो उसे पी लें।
• विटामिन-सी से भरपूर चीजों जैसे आंवला, संतरा, मौसमी

डेंगू बुखार बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?

कुछ लोग बिना कोई लक्षण दिखाए डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, शिशुओं और छोटे बच्चों में लक्षण अक्सर हल्के होते हैं।

शिशुओं और बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण:

शिशुओं और बच्चों में डेंगू आमतौर पर वायरल फ्लू से शुरू होता है जैसे लक्षण तेज बुखार, नाक बहना और खांसी
इसके अलावा, वे चिड़चिड़े और सामान्य से अधिक रोने वाले भी हो सकते हैं
अन्य लक्षणों में मसूड़ों या नाक से खून बहना, त्वचा पर लाल चकत्ते और उल्टी (दिन में तीन बार से अधिक) शामिल हैं।

बड़े बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षणों में शामिल हैं:

तेज बुखार जो उतार-चढ़ाव करता है
आँखों के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
एक गंभीर सिरदर्द

किसी व्यक्ति को संक्रमित एडीज मच्छर के काटने के 8-10 दिनों के बाद ज्यादातर लक्षण दिखाई देते हैं, इस दौरान एक बच्चा दिखा सकता है: भूख में कमी

उलटी अथवा डेंगू बुखार बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?

कुछ लोग बिना कोई लक्षण दिखाए डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, शिशुओं और छोटे बच्चों में लक्षण अक्सर हल्के होते हैं।

शिशुओं और बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण:

शिशुओं और बच्चों में डेंगू आमतौर पर वायरल फ्लू से शुरू होता है जैसे लक्षण तेज बुखार, नाक बहना और खांसी
इसके अलावा, वे चिड़चिड़े और सामान्य से अधिक रोने वाले भी हो सकते हैं
अन्य लक्षणों में मसूड़ों या नाक से खून बहना, त्वचा पर लाल चकत्ते और उल्टी (दिन में तीन बार से अधिक) शामिल हैं।

बड़े बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षणों में शामिल हैं:

तेज बुखार जो उतार-चढ़ाव करता है
आँखों के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
एक गंभीर सिरदर्द

किसी व्यक्ति को संक्रमित एडीज मच्छर के काटने के 8-10 दिनों के बाद ज्यादातर लक्षण दिखाई देते हैं, इस दौरान एक बच्चा दिखा सकता है:

भूख में कमी
उलटी अथवा डेंगू बुखार बच्चों को कैसे प्रभावित करता है?

कुछ लोग बिना कोई लक्षण दिखाए डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, शिशुओं और छोटे बच्चों में लक्षण अक्सर हल्के होते हैं।

शिशुओं और बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण:

शिशुओं और बच्चों में डेंगू आमतौर पर वायरल फ्लू से शुरू होता है जैसे लक्षण तेज बुखार, नाक बहना और खांसी
इसके अलावा, वे चिड़चिड़े और सामान्य से अधिक रोने वाले भी हो सकते हैं
अन्य लक्षणों में मसूड़ों या नाक से खून बहना, त्वचा पर लाल चकत्ते और उल्टी (दिन में तीन बार से अधिक) शामिल हैं।

बड़े बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षणों में शामिल हैं:

तेज बुखार जो उतार-चढ़ाव करता है
आँखों के पीछे दर्द
मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
एक गंभीर सिरदर्द

किसी व्यक्ति को संक्रमित एडीज मच्छर के काटने के 8-10 दिनों के बाद ज्यादातर लक्षण दिखाई देते हैं, इस दौरान एक बच्चा दिखा सकता है: भूख में कमी, उलटी अथवा जी मिचलाना ।