जानिए लाॅकडाउन एवं कोरोना से जुड़ी महत्वपूर्ण विधिक जानकारीयां एडवोकेट आशीष नाथ के साथ

advocate ashish nath

विनयएक्सप्रेस विधिक आलेख, बीकानेर। कोरोना महामारी से न सिर्फ भारत देश बल्कि पूरा विश्व लड रहा है। ऐसी परिस्थिति में भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई कदम उठा रही है इसी क्रम में भारतीय कानून मंत्रालय द्वारा भी कोरोना वाॅरियर्स के बचाव को लेकर कुछ नए कानून बनाए गये हैं और कुछ पूराने कानून कोराना वाॅरियर्स द्वारा अपने कत्र्तव्य पालन के दौरान उनकी रक्षा करते हैं। विनयएक्सप्रेस के पाठकों हेतु एडवोकेट आशीष नाथ ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण अध्यादेश एवं धाराओं की जानकारी प्रदान कर रहें है जिसे पढ़कर आमजन जागरूक हो सकता है।

स्वास्थ्यकर्मियों पर किया हमला तो होगी 7 साल तक की सजा : मोदी सरकार लाई अध्यादेश

Ordinance by indian govt
स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा. इसमें 3 महीने से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है.
स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों को जमानत नहीं मिलेगी, 30 दिन के अंदर इसकी जांच पूरी होगी।
1 साल के अंदर फैसला लाया जाएगा, जबकि 3 महीने से 5 साल तक की सजा हो सकती है.
इसके अलावा गंभीर मामलों में 6 महीने से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. गंभीर मामलों में 50 हजार से 2 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा.
अध्यादेश के अनुसार, अगर किसी ने स्वास्थ्यकर्मी की गाड़ी पर हमला किया तो मार्केट वैल्यू का दोगुना ज्यादा भरपाई की जाएगी.

आमतौर पर, एक आपदा को एक प्राकृतिक आपदा जैसे कि चक्रवात या भूकंप से समझा जा सकता है। इसके अलावा, इस अधिनियम की धारा 2 (डी) में ष्आपदाष् की परिभाषा में यह कहा गया है कि आपदा का अर्थ है, ष्किसी भी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानवकृत कारणों से या उपेक्षा से उद्भूत कोई महाविपत्ति…।

लॉक डाउन तोडने पर एवं लोक सेवक के सरकारी आदेश न मानने की दशा में सजा का प्रावधान-
आपदा प्रबंधन कानून धारा 9 =
कोरोना वायरस लॉकडाउन तोड़ा तो 2 साल की अधिकतम सजा और जुर्माना और आईपीसी की धारा 188 लगेगी,

धारा 51 – बाधा डालना
अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी को आपदा के दौरान उनके कर्तव्यों को पूरा करने से रोकता है, उनके काम में बाधा डालता है, सरकारों द्वारा दिए निर्देशों को मानने से इनकार करता है, तो उसपर कार्रवाई की जा सकती है।
इस धारा के तहत ऐसे व्यक्ति को एक साल की कैद और जुर्माना लगाकर दंडित किया जा सकता है। लेकिन अगर उस व्यक्ति के कारण किसी को क्षति पहुंचती है तो ये सजा दो साल तक कैद और जुर्माने में बदल सकती है।

धारा 52 – मिथक , झूठे दावे
अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है (पीड़ित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताना), तो उस पर ये धारा लगाई जा सकती है। इसके तहत दोषी साबित होने पर दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।

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धारा 53 – धन या सामग्री का दुरुपयोग
अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है (पीड़ित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताना), तो उस पर ये धारा लगाई जा सकती है। इसके तहत दोषी साबित होने पर दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
धारा 54 – गलत चेतावनी
अगर किसी आपदा की परिस्थति में कोई झूठी चेतावनी या खबर फैलाता है, जिससे लोगों के बीच घबराहट फैले, पैनिक हो, तो इस धारा के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है। ऐसा करने की कोशिश करने वालों को भी दंडित किया जा सकता है। इसकी सजा एक साल तक जेल और जुर्माना है।

आपदा प्रबंधन कानून धारा 55=
सार्वजनिक स्थानों और काम की जगह पर मास्क पहनना अनिवार्य, थूकने पर सजा और जुर्माना, कोई झूठी खबर फैलाई तो एक वर्ष तक की सजा या जुर्माना हो सकता है

धारा 56 – कर्तव्य पूरा न करना
अगर कोई सरकारी अधिकारी, कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों, कर्तव्यों का पालन नहीं करता है, तो इस धारा के तहत दोषी करार दिया जा सकता है। इसके लिए कानूनी तौर पर उसे एक साल की जेल और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

सरकारी अधिकारी के कर्तव्य पालन न करने पर 1 साल तक की सजा या जुर्माना, 3 मई तक 19 दिन बढ़ाए गए लॉकडाउन को तोडने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं। इनमें आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अनुसार दंड और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक स्थानों और काम करने की जगह पर मास्क पहनना अनिवार्य होगा। पब्लिक प्लेस पर थूकने पर सजा और जुर्माना देना होगा।
सरकारी कर्मचारियों पर आदेश न मानने की स्थिति में आईपीसी की धारा 188 के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

धारा 57 के तहत- अपेक्षित आदेश का उल्लंघन होने पर-
यदि कोई व्यक्ति इस तरह के अपेक्षित आदेश (धारा 65 के अधीन) का पालन करने में विफल रहता है, तो वह इस धारा के अंतर्गत दोषी ठहराया जा सकता है। इस धारा के तहत 1 साल तक की सजा और जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है।

अधिनियम की अन्य धाराएं (धारा 58, 59 और 60)
इस अधिनियम की धारा 58, कंपनियों के अपराध से सम्बंधित है। इसके अलावा, धारा 59 अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी (धारा 55 और धारा 56 के मामलों में) से सम्बंधित है, वहीं धारा 60 न्यायालयों द्वारा अपराधों के संज्ञान से सम्बंधित है।

सरकारी कर्मचारियों पर धारा 188 के अनुसार एक्शन
इस संबंध में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए निर्देशों का उल्लंघन करने पर ये धारा लगाई जा सकती है। यहां तक कि किसी के ऊपर ये धारा लगाने व कानूनी कार्रवाई करने के लिए ये भी जरूरी नहीं कि उसके द्वारा नियम तोड़े जाने से किसी का नुकसान हुआ हो या नुकसान हो सकता हो।

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सजा और जुर्मान के दो प्रावधान हैं
पहला- सरकार या किसी अधिकारी द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन करते हैं, या आपसे कानून व्यवस्था में लगे व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, तो कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपए जुर्माना या दोनों।
दूसरा- आपके द्वारा सरकार के आदेश का उल्लंघन किए जाने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा, आदि को खतरा होता है, तो कम से कम 6 महीने की जेल या 1000 रुपए जुर्माना या दोनों। दोनों ही स्थिति में जमानत मिल सकती है।

आशीष नाथ एडवोकेट
नया कुवा,सिटी कोतवाली के पास,बीकानेर

E.mail : vinayexpressindia@gmail.com