प्री-एक्लेमप्सिया एवं एक्लेम्पसिया – प्रेगनेंसी की गंभीर समस्या : डॉक्टर सुनील तेतरवाल

विनय एक्सप्रेस स्वास्थ्य आलेख।आज भी प्रेगनेंसी के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर जागरूकता का अभाव है। ऐसी ही एक समस्या है – महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान दौरे पड़ना। यह उच्च रक्तचाप का गंभीर रूप है जिसे शुरुआती स्टेज में प्री-एक्लेमप्सिया और स्तिथि बढ़ने ( मिर्गी आना ) पर एक्लेम्पसिया कहा जाता है।

यह गर्भवती महिला मृत्यु के मुख्य कारणों में से एक है और साथ ही शिशु मृत्यु का कारण भी बन सकता है। बहुत सी महिलाओं को इसका पता नहीं चल पाता, क्योंकि इसके दो सबसे आम लक्षणों को घर में पहचान पाना आसान नहीं हैं। जाँच में असामान्य इस प्रकार होना –
• उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
• पेशाब में प्रोटीन की मौजूदगी
.खून में Hb और palatlets की कमी
.लिवर के marker enzymes बढ़ जाने
यही कारण है कि आपकी स्त्री रोग विशेषज्ञ जांच के दौरान आपके ब्लड प्रेशर का परीक्षण करती हैं। यदि रक्तचाप उच्च है, तो प्रोटीन स्तर की जांच के लिए मूत्र परीक्षण करवाती हैं। गर्भावस्था के 20 सप्ताह बाद इसके विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
इस स्थिति में गर्भ के अंदर शिशु को पर्याप्त मात्रा में न तो ऑक्सीजन मिल पाती है और न ही जरूरी पोषक तत्व। लिहाजा शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास पर तो बुरा प्रभाव पड़ता ही है, गर्भवती महिला की सेहत को भी नुकसान होता है।

महिला में यह आगे चलकर उच्च रक्तचाप और अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। माँ को प्रभावित करने के अलावा, यह बच्चों में दुर्बलता से जुड़ी जटिलताएं उत्पन्न करने में भी समर्थ है जैसे कि ब्रेन पाल्सी, अंधापन और बहरापन
गर्भवती महिलाएं प्री-एक्लेमप्सिया के लक्षणों को जानें, ताकि उनको पता हो कब तुरंत मदद लेने की जरुरत है। लक्षण जैसे सिरदर्द, धुंधला दिखना, सांस लेने में तकलीफ, सामान्य से अधिक उल्टी, सूजन, पेट दर्द आदि होने पर जल्द से जल्द अपने नज़दीकी चिकित्सक से संपर्क करें।
इसकी गंभीरता को न समझते हुए कई महिलाएं एवं उनके परिजन इसका घरेलु उपचार करने की कोशिश करते हैं जो की गलत है। इस विकार का सही समय पर सही इलाज़ न होना माँ और बच्चा दोनों की सेहत के लिए बेहद गंभीर हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान महिला और शिशु का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। अगर गर्भवती महिला के स्वास्थ्य में कोई भी समस्या आती है, तो उससे सीधा शिशु के विकास पर असर पड़ता है। माँ स्वस्थ तभी बच्चा स्वस्थ रह सकता है।

डॉक्टर सुनील तेतरवाल : चिकित्सा अधिकारी – नाचना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नाचना जैसलमेर